आजकल नई नई बीमारियों के समाचार मीडिया में सुनने पढ़ने को खूब मिलते है। इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता कि इन बीमारियों को बढ़ावा देने में मिलावटी खाद्य सामग्री नाले नालों में गंदगी सफाई ना होना ओर प्रदूषण तथा कुछ खाद्यान्न उत्पादकों द्वारा केमिकल का छिड़काव है इसे कोई इनकार नहीं कर सकता।
लेकिन बढ़ती नई बीमारियों के लिए एक कारण इसके लिए जिम्मेदार कह सकते हैं और आजकल के प्रचलन चलता है चलता रहेगा हमारे परिवार में एक दूसरे का सब ध्यान रखते हैं भगवान ने खुशी दे रखी है का कथन दोहराने वाले असलियत को मेरी निगाह में कब तक छिपाते रहेंगे क्योंकि मैंने 50 साल के कार्यकाल में देखा है तो कह सकता हूं ऐशपरस्ती के साधनों की बढ़ती इच्छा, परिवार में धन की आवश्यकता नुसार उपलबध्ता होने से जो कलह होती है पहली नजर में बीपी शुगर जैसी बीमारियों का मुख्य कारण यही है। आप रोटी खाने बैठे घर पर तनाव शुरू हुआ नहीं कि दिमाग में तनाव शुगर और बीपी बढ़ाता है।
दोस्तों सब जानते हैं कि मोर जब नाचता है सब खुश होते हैं लेकिन अपने पैरों को देखकर रोता है। ऐसा ही कुछ उन लोगों के बारे में कहा जाता है तो अपने आपको बहुत खुशहाल दर्शाते हुए कहते हैं कि उन्हें कोई कष्ट नहीं है परिवार में सब अच्छा चल रहा है। इसी चक्कर में ना तो वो अपने मन की बात किसी से कहकर मन को हल्का नहीं कर पाते। कुल मिलाकर मुझे लगता है कि बहुत सारी बीमारियों का मुख्य कारण घरेलू कलह है जो किसी दवाई से समाप्त नहीं हो सकती। इसलिए घरों के मुखियाओं को ऐसे प्रयास करने चाहिए कि परिवार के सदस्य के समक्ष नई परेशानियों से छुटकारा मिल सकता है। तो विश्वास से कह सकता हूं कि कई बीमारियां उत्पन्न नहीं होगी अथवा सही हो सकती है।
(प्रस्तुतिः संपादक रवि कुमार बिश्नोई दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)
कई बीमारियों का जन्मदाता है कलह, जिसका इलाज किसी के पास नहीं
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