asd एक तिहाई सजा काट चुका कैदी जेल में नहीं रहेगाः शाह

एक तिहाई सजा काट चुका कैदी जेल में नहीं रहेगाः शाह

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गांधीनगर 20 नवंबर। देश में तीन नए कानून लागू होने के बाद एफआईआर दर्ज होने की तिथि से तीन वर्ष के भीतर सुप्रीम कोर्ट तक से न्याय उपलब्ध होगा। आने वाला दशक भारतीय आपराधिक न्याय प्रणाली को दुनिया में सबसे वैज्ञानिक और सबसे तेज बना देगा। यही नहीं, आगामी संविधान दिवस यानी 26 नवंबर तक देश की जेलों में ऐसा एक भी कैदी नहीं रहेगा जो एक तिहाई सजा काट चुका होगा। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को अखिल भारतीय पुलिस विज्ञान सम्मेलन को संबोधित करते हुए यह दावा किया।

राष्ट्रीय रक्षा शक्ति विश्वविद्यालय एवं पुलिस अनुसंधान एवं विकास ब्यूरो की ओर से आयोजित इस समारोह में शाह ने कहा कि देश व दुनिया के समक्ष अगले दशक में पांच क्षेत्र – साइबर क्राइम, सीमाओं से होने वाली घुसपैठ, ड्रोन, नारकोटिक्स व डार्क नेट सबसे अधिक चुनौती पूर्ण रहेंगे। कानून के रखवालों को कानून तोड़ने वालों से दो कदम आगे रहना होगा।

शाह ने कहा कि अंग्रेजों ने 150 वर्ष पहले अपने हिसाब से कानून बनाए थे। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार ने इन कानूनों में आमूल-चूल परिवर्तन कर देश के नागरिकों की सुरक्षा मुहैया करते हुए उनके संवैधानिक हकों को सुनिश्चित करने का काम किया है। पुलिस कार्रवाई से लेकर कोर्ट की प्रक्रिया को समयबद्ध किया गया है। तीन नए कानून लागू होने के बाद अब देश के नागरिकों को प्राथमिकी दर्ज होने के बाद उच्चतम न्यायालय तक तीन वर्ष में न्याय उपलब्ध होगा।

अमित शाह ने कहा कि हमारा प्रयास है कि एक भी कैदी अपनी सजा का एक तिहाई हिस्सा पूरा करने के बाद भी न्याय पाने से वंचित न रहे। बता दें कि तीन नए आपराधिक कानून- भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस), भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (बीएसए) इस साल एक जुलाई से लागू हुए हैं।

गृह मंत्री ने कहा कि सुरक्षा व्यवस्था से जुड़ा हमारा बहुत बड़ा परिवार है, उन सभी तथा इस व्यवस्था को अपग्रेड करने के लिए अखिल भारतीय पुलिस विज्ञान सम्मेलन में मौजूद 250 लोगों पर बड़ी जिम्मेदारी है। अगले एक दशक में भारत का आपराधिक न्यायिक सिस्टम दुनिया में सबसे बेहतर होगा।

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