asd गांव से बाहर नहीं निकली 65 वर्षीय नायिका हीरा देवी, आज बुलंदी के आसमान पर – tazzakhabar.com
Date: 13/03/2025, Time:

गांव से बाहर नहीं निकली 65 वर्षीय नायिका हीरा देवी, आज बुलंदी के आसमान पर

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पिथौरागढ़ 19 नवंबर। दूरस्थ पर्वतीय गांव खाली हो रहे हैं। अधिकांश लोग शिक्षा, स्वास्थ्य व रोजगार के कारण पलायन कर चुके हैं। तमाम गांव ऐसे हैं जहां सिर्फ बुजुर्ग ही बचे हैं। जनशून्य हो रहे भुतहा गांवों (घोस्ट विलेज) में अकेले रहने वाले बुजुर्ग किन मानसिक वेदनाओं से जूझ रहे हैं, इसे मंगलवार को दुनिया एस्टोनिया की राजधानी टालिन में देखेंगी। 28वें टेल्लिन ब्लैक नाइट्स इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल के लिए चुनी गई एकमात्र भारतीय फिल्म पायर (चिता) का मंगलवार को वर्ल्ड प्रीमियर होगा कभी अपने गांव गढ़तिर से बाहर नहीं निकली 65 वर्षीय हीरा देवी इस फिल्म की नायिका हैं। अपने सहज अभिनय के दम पर हीरा देवी फिल्म के निर्माता के साथ पहली बार हवाई सफर कर एस्टोनिया पहुंच चुकी हैं। वहां वे फिल्म के कलाकार के तौर पर फेस्टिवल में भाग लेंगी और समीक्षकों के साथ अपने अनुभव साझा करेंगे। फिल्म की एडिटिंग जर्मनी के तकनीशियन ने और कंपोजिंग कनाडा के कंपोजर ने की है।

वास्तविक कहानी के किरदार भी असल
फिल्म की कहानी और किरदार दोनों ही वास्तविक हैं। इसमें पिथौरागढ़ जिले के एक गांव में 80 वर्षीय बुजुर्ग और उनकी 65 वर्षीय पत्नी अपनी दो बेटियों और एक बेटे की शादी करने के बाद अब अपनी भैंस के साथ रहते हैं। छोटी खेती और भैंस के लिए चारा जुटाना ही दंपती की दिनचर्या है। गांव के शेष परिवारों में भी बुजुर्ग ही हैं। दपंती को चिंता है उनकी मौत के बाद अंतिम संस्कार के लिए गांव से दूर श्मशान घाट तक कौन और कैसे ले जाएगा। इसी मानसिक वेदना से जूझते हुए दंपती ने इसका हल भी जीते-जी निकाल लिया है। उन्होंने अपने घर से श्कुछ दूर खेतों में अपने लिए चिता तैयार कर ली है। वे प्रतिदिन इसके लिए लकड़ियां इकट्ठा करते हैं। पति-पत्नी में से किसी की भी मृत्यु के बाद गांव के बुजुर्गों को शव बस चिता में रखकर आग ही देनी होगी।

गढ़तिर गांव की हीरा देवी हैं नायिका
हीरा देवी पर इस फिल्म की नायिका हैं। निर्माता निर्देशक विनोद कापड़ी भी इसी क्षेत्र के रहने वाले हैं। हीरा देवी ने जिंदगी में कभी सिनेमा हाल नहीं देखा, लेकिन वह इस फिल्म में नायिका है। उनके पास टीवी तक नहीं है। मोबाइल के बारे में वह कुछ नहीं जानती। उनकी चिंता केवल अपनी भैंस के लिए चारा जुटाने की है। गांव से करीब छह किमी दूर फिल्म के लिए सेट तैयार किया गया। जहां वह हर रोज सुबह छह बजे से रात्रि आठ बजे तक शूटिंग करती थीं।

पहली बार विदेश यात्रा पर निकले आमा-बुबू
सोमवार को निर्देशक विनोद कापड़ी ने सोशल मीडिया पर एयरपोर्ट और फ्लाइट से कुछ फोटो और वीडियो साझा किये। इन्हें साझा करते हुए उन्होंने लिखा, ‘और चल पड़े आमा बुबू (उत्तराखंड में दादी-दादा को प्यार से यही नाम दिया जाता है) एक अनोखी यात्रा पर !! विनाेद ने यह भी बताया कि आमा और बुबू दोनों की यह पहली विदेश यात्रा है। साथ ही वे अपनी जिंदगी में पहली बार उड़ान भर रहे हैं। यह पल उनकी जिंदगी में किसी कोहिनूर से कम नहीं है, बावजूद इसके फिल्म की मुख्य अभिनेत्री हीरा देवी का दिल उत्तराखंड में अपनी भैंस के पास ही अटका हुआ है।’

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