asd सराय काले खां चौक का नाम बदला गया, अब कहलाएगा बिरसा मुंडा चौक

सराय काले खां चौक का नाम बदला गया, अब कहलाएगा बिरसा मुंडा चौक

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नई दिल्ली 15 नवंबर। महान स्वतंत्रता सेनानी और जननायक भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती के अवसर पर केंद्र सरकार ने आज शुक्रवार को दिल्ली के सराय कालेखां आईएसबीटी चौक का नाम बदलकर बिरसा मुंडा चौक करने का ऐलान कर दिया. केंद्रीय शहरी विकास मंत्री मनोहर लाल खट्टर ने चौक का नाम बदलने का ऐलान किया.

खट्टर ने कहा, ‘मैं आज घोषणा कर रहा हूं कि यहां आईएसबीटी बस स्टैंड के बाहर स्थित बड़े चौक का नाम भगवान बिरसा मुंडा के नाम पर रखा जाएगा. इस प्रतिमा और उस चौक का नाम देखकर न केवल दिल्ली के नागरिक बल्कि अंतर्राष्ट्रीय बस स्टैंड पर आने वाले लोग भी निश्चित रूप से उनके जीवन से प्रेरित होंगे.’

भगवान बिरसा मुंडा की जयंती के अवसर पर देशभर में जनजातीय गौरव दिवस मनाया जा रहा है. केंद्र सरकार ने साल 2021 में मुंडा की जयंती को जनजातीय गौरव दिवस के रूप में मनाने का ऐलान किया था. इस अवसर पर देशभर में कई कार्यक्रमों का आयोजन भी किया जा रहा है.

इससे पहले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने आज राजधानी दिल्ली में सराय काले खां के पास बांसेरा पार्क में भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती पर उनकी भव्य प्रतिमा का अनावरण किया. प्रतिमा का अनावरण करते हुए अमित शाह ने सामाजिक सुधारों में उनके योगदान और ‘धर्मांतरण’ के खिलाफ खड़े होने के उनके साहस की सराहना की.

अमित शाह ने कहा कि देश हमेशा बिरसा मुंडा का उनके स्वतंत्रता संग्राम और धर्मांतरण के खिलाफ किए गए आंदोलनों के लिए आभारी रहेगा. शाह ने कहा कि जब पूरा देश और दुनिया के दो तिहाई हिस्से पर अंग्रेजों का शासन था, उस समय उन्होंने धर्मांतरण के खिलाफ खड़े होने का साहस दिखाया. उन्होंने कहा, ‘भगवान बिरसा मुंडा के जीवन को हम दो भागों में बांटकर देख सकते हैं. एक, आदिवासी संस्कृति की रक्षा और दूसरा, देश की आजादी के लिए सर्वाेच्च बलिदान देने का जज्बा. 25 साल की उम्र में उन्होंने एक ऐसी गाथा लिखी, जिसे 150 साल बाद भी याद किया जाता है.’

बता दें कि बिरसा मुंडा महान स्वतंत्रता सेनानी थे और आदिवासी समुदाय के लोग उन्हें प्रेमपूर्वक भगवान का दर्जा देते हैं. उनकी जयंती जनजातीय गौरव दिवस के रूप में मनाई जाती है.
बिरसा मुंडा का जन्म 1875 में बिहार के आदिवासी क्षेत्र उलिहातू में हुआ था. उन्होंने ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन और धर्मांतरण जैसी अप्रिय गतिविधियों को लेकर आदिवासियों को आगाह करते हुए एकजुट किया था.

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