नई दिल्ली 15 नवंबर। दिल्ली में प्रदूषण गुरुवार को बेहद खतरनाक स्तर पर पहुंच गया। यहां 39 पॉल्यूशन मॉनिटरिंग स्टेशंस में से 32 ने एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) को गंभीर बताया है। इस हवा में सांस लेना भी मुश्किल होता है। यहां सभी प्राइमरी (5वीं क्लास तक) स्कूलों में छुट्टी कर दी गई है। बच्चे ऑनलाइन क्लास में पढ़ेंगे।
एयर कमीशन फॉर एयर क्वालिटी मैनेजमेंट (CAQM) ने NCR यानी हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान से आने वाली बसों के दिल्ली आने रोक लगा दी है। CNG और इलेक्ट्रिक व्हीकल के साथ BS-4 डीजल बसों को इससे छूट दी गई है।
प्रदूषण में दुनिया में दूसरे नंबर पर दिल्ली : वायु प्रदूषण के मामले में दिल्ली पूरे विश्व में दूसरे नंबर पर रहा। पाकिस्तान का शहर लाहौर पहले स्थान पर है। वहीं, चंडीगढ़ में एक्यूआई 412, गाजियाबाद में 356, हापुड़ में 348 और नोएडा में 347 रहा।
दिल्ली में सुबह कितना रहा एक्यूआई
दिल्ली में वायु गुणवत्ता की बात करें तो राष्ट्रीय राजधानी के जहांगीरपुरी में सबसे ज्यादा एक्यूआई दर्ज किया गया है। यहां पर AQI 458 रहा है। इसके बाद वजीरपुर में 455, आजीआई एयरपोर्ट पर 446, जएलएन स्टेडियम में 444, आनंद विहार में 441, विवेक विहार में 430, आईटीओ में 358, जहांगीरपुरी में 468, नजफगढ़ में 404 और लोधी रोड में 314 एक्यूआई दर्ज किया गया है।
दिल्ली-NCR में तोड़फोड़ पर रोक, डीजल गाड़ियों पर पाबंदी
दिल्ली-NCR में निर्माण, खनन और तोड़फोड़ पर रोक रहेगी।
दिल्ली, गुरुग्राम, फरीदाबाद, गाजियाबाद और गौतमबुद्धनगर में BS-3 पेट्रोल और BS-4 डीजल वाहन नहीं चलेंगे।
दिल्ली में BS-3 डीजल के इमरजेंसी व्हीकल के अलावा इस स्तर के सभी मीडियम गुड्स व्हीकल पर रोक रहेगी।
इसके अलावा मशीन से सड़कों की सफाई की फ्रिक्वेंसी बढ़ाने और हैवी ट्रैफिक वाले रूट पर पीक आवर से पहले पानी का छिड़काव करने जैसे उपाय किए जाएंगे।
सभी प्रतिबंध और उपाय 15 नवंबर सुबह 8 बजे से लागू होंगे। इन्हें ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (GRAP) के तीसरे फेज के तहत लागू किया जा रहा है।
कॉप-29 में दिल्ली के प्रदूषण पर चिंता, वायु गुणवत्ता में करना होगा सुधार
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की दमघोंटू हवा पर अजरबैजान के में जलवायु शिखर सम्मेलन कॉप-29 में भी गहरी चिंता जताई गई है। वहां विशेषज्ञों ने भारत को मीथेन और ब्लैक कार्बन जैसे जलवायु प्रदूषकों (एसएलसीपी) पर अधिक ध्यान देने का सुझाव दिया है। एसएलसीपी ग्रीनहाउस गैसों और वायु प्रदूषकों का समूह है, जो कम वक्त में जलवायु को बहुत गर्म करते हैं और वायु की गुणवत्ता को नुकसान पहुंचाते हैं। इस समूह में ब्लैक कार्बन, मीथेन, ग्राउंड-लेवल ओजोन और हाइड्रोफ्लोरोकार्बन (एचएफसी) शामिल हैं।
इंस्टीट्यूट फॉर गवर्नेंस एंड सस्टेनेबल डेवलपमेंट (आईजीएसडी) की कार्यक्रम निदेशक जेरिन ओशो और आईजीएसडी के अध्यक्ष दरवुड जेलके ने बताया कि एसएलसीपी में कमी लाने से प्रदूषण और ग्लोबल वार्मिंग से निपटा जा सकता है। दरवुड जेलके के मुताबिक, एसएलसीपी वर्तमान वार्मिंग के लगभग आधे के लिए जिम्मेदार हैं और इसे कम करने से हवा की गुणवत्ता सुधर सकती है। इससे तेजी से ठंडक भी आएगी, जो कि तब अहम हो जाता है जब वैश्विक तापमान 1.5 डिग्री सेल्सियस सीमा के करीब पहुंच रहा है। 2024 के आंकड़े संकेत दे रहे हैं कि तापमान जल्द ही इस सीमा को पार कर सकता है। भारत, खासकर दिल्ली गंभीर वायु प्रदूषण झेल रही है। इन प्रदूषकों पर ध्यान देकर सेहत और जलवायु दोनों के फायदे मिल सकते हैं। इसके साथ ही लंबे वक्त तक सीओ 2 उत्सर्जन को कम करने के लिए अहम वक्त भी मिल सकता है।