asd मुख्यमंत्री जी दे ध्यान! डीजे की तेज आवाज, नागरिक और जानवर दोनों है परेशान

मुख्यमंत्री जी दे ध्यान! डीजे की तेज आवाज, नागरिक और जानवर दोनों है परेशान

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रात्रि 10 बजे के बाद डीजे बजाने पर पूर्ण रोक सरकार और न्यायालय की होने के बाद भी डीजे संचालक सरकार द्वारा निर्धारित नियमों को नजर अंदाज कर इतनी तेज आवाज में बजाते है और उसका पता इससे चलता है कि आम आदमी तो इनसे परेशान है ही कभी कभी घरों के शीशे टूट जाते है और कभी कभी कानों के पर्दे भी प्रभावित होते हैं। लेकिन नियमों व न्यायालय के आदेशों का पालन कराने के लिए सक्षम विभागो और उनके अधिकारियों की लापरवाही और निरंकुश सोच के चलते इस नियम का पालन नहीं हो पा रहा है। और डीजे की आवाज से परेशान नागरिकों की समस्याऐं बढ़ती ही जा रही हैं। परीक्षाओं के दिनों में बच्चे पढ़ाई नहीं कर पाते और जब यह कहीं से होकर गुजरते है और कहीं खड़े होकर बजते है तो आसपास निवास करने वालों के सभी काम लगभग ठप हो जाते है किसी को एक दूसरे की आवाज ही नहीं आती। अब तो स्थिति यह हो गई है कि इनके चलते जानवरों ने दूध देना भी बंद कर दिया है।
एक खबर के डीजे के शोर से इंसान ही नहीं, जानवर भी परेशान हो रहे हैं। वाराणसी के एक पशुपालक की गायें शोर की वजह से कम दूध दे रही हैं। पशुपालक ने गत दिवस गोरखपुर में मुख्यमंत्री के जनता दर्शन कार्यक्रम में पहुंचकर शिकायत दर्ज कराई। मुख्यमंत्री ने इसे गंभीरता से सुना और डीजे के शोर पर नियंत्रण लगाने का आश्वासन दिया।
वाराणसी जिले के ग्राम दशवतपुर निवासी संदीप सिंह ने कहा कि उन्होंने चार गायें पाल रखी हैं। उनके चाचा के पास भी 10 गायें हैं। गांव के कई और लोग भी पशुपालन करते हैं। पिछले 6-7 वर्षों से ऐसा हो रहा है कि त्योहारों के वक्त जब तेज आवाज में डीजे बजता है, तब गायों का दूध कम हो जा रहा है। पशु चिकित्सक बता रहे हैं कि तेज ध्वनि के कुप्रभाव से ऐसा हो रहा है।
पुलिस डीजे की आवाज थोड़ा कम कराती है, लेकिन वह भी 100 डेसिबल से अधिक ही रहता है। शिकायतकर्ता संदीप सिंह का कहना है कि मुख्यमंत्री ने उनकी बातों को गंभीरता से सुना और इस पर नियंत्रण की बात कही।
उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की वेबसाइट पर उपलब्ध आदेश के अनुसार रात्रि 10 बजे से सुबह 6 बजे के बीच सिवाय साउंड प्रूफ ऑडिटोरियम के किसी भी खुली जगह में लाउडस्पीकर नहीं बजाए जा सकते हैं, मगर नियम का पालन नहीं हो रहा है।
सत्या फाउंडेशन की तरफ से किया जा रहा है जागरूकः सामाजिक संगठन सत्या फाउंडेशन के संस्थापक सचिव चेतन उपाध्याय ने कहा कि शोर की वजह से मनुष्य ही नहीं जीव-जंतुओं का जीवन भी प्रभावित हो रहा है। दूध उत्पादन पर असर का मामला तो आया ही है, अन्य जानवरों के व्यवहार भी बदल रहे हैं। इसीलिए उनका संगठन वर्ष 2008 से ही शोर के खिलाफ अभियान चला रहा है। स्कूलों में जाकर बच्चों को भी जागरूक किया जा रहा है।
मेरा मानना है कि अब क्योंकि नागरिकों के साथ ही अब जानवरों को भी अब डीजे की आवाज परेशान करने लगी है जिसका सीधा असर आम आदमी की रोज की दिनचर्या पर पड़ता है। इसलिए सरकार को चाहिए कि इस संदर्भ में सख्त कदम उठाने के साथ ही जिस क्षेत्र में तेज आवाज में या निर्धारित समय के बाद डीजे बजने की खबर मिले उस क्षेत्र के थानेदार के विरूद्ध जनहित में की जाए सख्त से सख्त कार्रवाई।
(प्रस्तुतिः अंकित बिश्नोई संपादक-पत्रकार सोशल मीडिया एसोसिएशन एसएमए के राष्ट्रीय महामंत्री मजीठिया बोर्ड यूपी के पूर्व सदस्य )

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