asd देश में जमीने कब्जा रहा है वक्फ, सनातन बोर्ड जरुरी: देवकीनंदन

देश में जमीने कब्जा रहा है वक्फ, सनातन बोर्ड जरुरी: देवकीनंदन

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उन्नाव 12 नवंबर। प्रसिद्ध कथावाचक देवकीनंदन ठाकुर इन दिनों सनातन बोर्ड के गठन को लेकर सुर्खियों में हैं. बोर्ड के गठन की मांग को लेकर 16 नवंबर को दिल्ली में धर्म संसद का आयोजन भी करने जा रहे हैं. धर्म संसद के बारे में ही लोगों को जागरुक करने मंगलवार को उन्नाव दौरे पर आए देवकीनंदन ठाकुर. इस दौरान उन्होंने ईटीवी भारत से बीतचीत में विस्तार से बताया कि, सनातन बोर्ड के गठन की क्यों जरुरत है और इसका क्या उद्देश्य है. साथ ही ठाकुर ने इस बात भी जोर दिया कि, 100 करोड़ सनातनियों के सम्मान और उनके पूजा पद्धति की सुरक्षा के लिए सनातन बोर्ड का गठन जरुरी है.

देवकीनंदन ठाकुर ने बताया कि, सनातन धर्म की रक्षा के लिए 16 नवंबर को दिल्ली के शाहदरा खजूरी खास में एक विशाल धर्म संसद का आयोजन किया जा रहा है. उन्होंने सभी सनातनियों से आह्वान किया कि, वे एक दिन का समय निकालकर इस सभा में शामिल हों ताकि भारत माता की सुरक्षा, पूजा पद्धति की सुरक्षा और आने वाली पीढ़ियों के भविष्य को सुरक्षित किया जा सके.

वक्फ बोर्ड पर जमकर हमला बोलते हुए देवकीनंदन ठाकुर ने आरोप लगाया कि ये बोर्ड धीरे-धीरे देश की 9 लाख एकड़ से अधिक जमीन पर कब्जा कर चुका है, जिसमें कई प्राचीन मंदिर भी शामिल हैं. उन्होंने दावा किया कि, 1500 साल पुराने मंदिरों पर भी वक्फ बोर्ड ने अपना अधिकार जताया है. उन्होंने कहा कि वक्फ बोर्ड के लोग पटना के पास पूरे गांव को खाली करने की धमकी दे रहे हैं और दावा कर रहे हैं कि वह जमीन उनकी है.

ठाकुर ने ये भी आरोप लगाया कि, अगर यही हालात रहे तो वह दिन दूर नहीं जब ये बोर्ड दावा कर देगा कि पूरा देश उनका है. देवकीनंदन ठाकुर ने देशवासियों को आगाह करते हुए कहा कि अगर आज इसका विरोध नहीं किया गया, तो भविष्य में लोग अपने घर भी सुरक्षित नहीं रख पाएंगे.

कथावाचक देवकीनंदन ठाकुर ने कहा कि आज के समय में धर्म का राजनीति में एक महत्वपूर्ण स्थान होना चाहिए. उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा, राजनीति में अगर धर्म का प्रभाव रहेगा, तो भ्रष्टाचार कम होगा और समाज में नैतिकता का स्तर ऊंचा उठेगा. देवकीनंदन ठाकुर ने जोर देकर कहा कि सनातन बोर्ड का गठन केवल सनातन धर्म के अनुयायियों के हितों की रक्षा के लिए है. उन्होंने कहा, ये बोर्ड किसी भी राजनीतिक एजेंडे के लिए नहीं है, बल्कि यह सनातन धर्म और उसके अनुयायियों के मान-सम्मान की रक्षा के लिए है.

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