asd गडकरी बोले चाय बेचने व बाल काटने वाले भी बना रहे हैं सड़कें, बीएचयू के प्रोफेसर की चोरी के तथ्य होने के आरोप में छिनी पीएचडी की उपाधि, फर्जी डॉ. के विरूद्ध हो कार्रवाई

गडकरी बोले चाय बेचने व बाल काटने वाले भी बना रहे हैं सड़कें, बीएचयू के प्रोफेसर की चोरी के तथ्य होने के आरोप में छिनी पीएचडी की उपाधि, फर्जी डॉ. के विरूद्ध हो कार्रवाई

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देश में अगर नियमों को तोड़ने वाले सक्रिय हैं तो उन पर कार्रवाई भी शुरू हो गई है। इस बात से इनकार नहीं कर सकते। पिछले दिनों यूपी सरकार के प्रमुख सचिव राज्यकर एन देवराज ने जोनवार समीक्षा करते हुए सभी आयुक्त और अपर आयुक्तों को निर्देश दिए हैं कि एसआईबी और सचल दल के सबसे भ्रष्ट व खराब छवि के अधिकारियों के नाम तत्काल बताएं जिससे इन पर कार्रवाई की जा सके। केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी हमेशा देश की सड़कों को अमेरिका की सड़कों की तरह बनाने के दावे करते हैं। वो बात दूसरी है कि बीते दस साल में यूपी के सीएम योगी के सड़कों के गढडा मुक्त करने के आदेशों को अधिकारी आज तक पूरा ना कर पाए हो। नितिन गडकरी दावे और व्यंग्य करने में कोई कसर नहीं छोड़ते है। उन्होंने एक कार्यक्रम में कहा था कि गूगल देखकर काम करने वाले लोगों को पदम श्री दिया जाना चाहिए क्योंकि यह अपनी जिम्मेदारियों को पूरा करने में यह बहुत पीछे है। बीते दिवस रायपुर में नितिन गडकरी ने इंडियन रोड कांग्रेस अधिवेधन में कहा कि जिन्हें सरकारी नौकरी छोड़नी है छोड़ दें और डीपीआर बनाने के लिए इंजीनियरों के साथ काम करें। हम सभी को काम देंगे। गडकरी ने कहा कि कुछ विदेशी कंपनियों से सौदा कर चाय बेचने व बाल काटने वाले भी बना रहे हैं सड़कें। इसीलिए पूर्व में जो 50 हजार मौतें सड़क हादसों में होती थी अब उनकी संख्या काफी बढ़ गई है। इससे यह साफ होता है कि इन सड़क हादसों के लिए इंजीनियर ही जिम्मेदार है। भविष्य में इनके खिलाफ भी कार्रवाई शुरू कर दी जाएगी क्योंकि पीएम मोदी की देखरेख में पुराने नियम निरस्त कर नए बनाए जा रहे हैं और वरिष्ठ अधिकारियों को समय से पूर्व सेवानिवृति दी जा रही है और कुछ को जेल भेजा जा रहा है उससे साफ है कि बकरे की मां कब तक खैर मनाएगी कभी ना कभी तो शिकंजे में आएगी।
बीते दिनों बीएचयू के इतिहास के प्रोफेसर अशोक कुमार सोनकर केे शोध में तथ्य चोरी के होने के चलते उनकी डिग्री छिन ली गई है। मुझे लगता है कि केंद्र व प्रदेश के अधिकारी के साथ ही मेरठ के उच्च शिक्षा एवं पुलिस प्रशासनिक अधिकारियों को ऐसे मामलों को ढूंढकर उनका पर्दाफाश करने और फर्जी डिग्री पर डॉक्टर बने तथाकथित् समाजसेवियों को बेनकाब करने के लिए अभियान चलाना चाहिए क्योंकि इससे मेहनत कर पीएचडी की डिग्री लेने वाले छात्रों को मानसिक कष्ट झेलना पड़ रहा है और ऐसेे लोगों के चलते अपमानित भी होना पड़ता है।
(प्रस्तुतिः संपादक रवि कुमार बिश्नोई दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)

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