कल 12 नवंबर देवोत्थान एकादशी से छह मार्च तक शुभ मुर्हतों में होने वाले आयोज व शादियों की शुभ घड़ी आ गई है। जिसका उन परिवारों में उत्साह से स्वागत किया जा रहा है जिनमें विवाह व अन्य शुभ कार्य इन तिथियों में किए जाने हैं। इस साल पुराने स्टाइल से होने वाली शादियों के साथ ही धनसंपन्न परिवारों द्वारा नए स्टाइल से शादियां करने का इंतजाम किया जा रहा है। बताते है कि पहली बार विंटेज कार से दूल्हन की विदाई म्यूजिकल फेरे तथा राजस्थान व गुजरात की हवेलियों में विवाह समारोह आयोजित करने के लिए मंडप संचालकों को मंुह मांगी रकम दी जा रही है। इसके अतिरिक्त कैटरर भी स्टॉलों पर शुगर के मरीजों का ध्यान कर शुगर फ्री मिठाईयां और खाने में सैंदा नमक का उपयोग के नाम पर लिए जाने वाले शुल्क को बढ़ा चुके हैं। विवाह मंडप संचालक मंडपों की साज सज्जा नए प्रकार से करते हुए कुछ नए स्टाइल में पुरानी परंपराओं को ढालकर आयोजन कराने के लिए वर वधु के माता पिता को आकर्षित करने में लगे हैं। इतना ही नहीं कई परिवार चाहते हैं कि शादी स्वीमिंग पुल में हो।
कुछ लोगों का कहना है कि एक शादी पहले दो से 10 लाख देकर मंडप में हो जाती थी इस बार सिर्फ 50 लाख रूपये मंडप और सजावट व इतना ही दावत पर खर्च होने की संभावना है। बताते चलें कि पूर्व में गोवा, जिम कार्बेट अन्य हिल स्टेशनों के साथ कुछ लोग विदेशों में जाकर शादियां करते रहे हैं। मगर उस पर समय और खर्च के साथ परेशानी भी ज्यादा सामने आती है इसलिए कहा जा रहा है कि अब हर व्यवस्था मंडप संचवालक और बड़े बड़े फार्म हाउस उपलब्ध कराने के प्रयासरत हैं। मगर इसका मतलब यह नहीं कि बाहर जाना छोड़ दिया है। कुछ परिवार अपने जिले से बाहर पहुंचकर ही शादी करना चाहते हैं। ऐसा नहीं है कि पहले महंगी शादियां नहीं होती थी जिनके पास अथाह धन है वो दिल खोलकर इसमें खर्च करते रहे हैं। इस मामले में मुंबई के धनपति के यहां हुई शादी व एक धार्मिक स्थल के पुजारी के बच्चों के विवाह समारोह चर्चाओं में रहे थे।
अब जिसे भगवान ने दिया है वो तो खर्च करने से नहीं चूकता है। यह जरूर है कि गांवों में इस बारे में जाति आधारित संगठनों व समाजसेवी संस्थाओं द्वारा कुछ नियम निर्धारित किए गए हैं जिसके तहत शादी में दहेज के लेन देन नशा करने आदि पर रोक लगाई गई है मगर इसका असर गांवों में तो नजर आता है लेकिन शहरों में यह शो बाजी ही बनकर रह जाती है। अब करें बात शादी के दौरान अवैध रूप से सड़कों के किनारे बने मंडपों और होटलों तो इनमें शादियों के दौरान नेशनल हाईवे भी कई कई घंटे जाम रहते हैं। ऐसा नहीं है कि यातायात पुलिस के अधिकारी इस ओर ध्यान नहीं देते लेकिन उनके दावों और इंतजामों की पोल यात्रियों के सामने खुलकर आती है जब यात्री घंटो जाम में फंसे रहकर आगे जाने का इंतजार करता है।
यूपी के मेरठ जनपद की बात करें तो 12 नवंबर से शुरू होने वाली शादियों के सीजन में छह हजार होने की संभावना है। इस दौरान यातायात व्यवस्था बनाए रखने व शहर को जाम से मुक्त करने के लिए पुलिस ने मंडप और फार्म संचालकों के साथ बैठक भी की। मंडप के बाहर जाम ना लगने के लिए संचालकों को जिम्मेदारी सौंपी है और 50 को नोटिस देकर कार्रवाई करने का भय भी दिखाया है। नागरिकों का कहना है कि यातायात पुलिस इस बार तैयारियों के चलते सड़कों पर जाम ना लगने दे और रात में दस बजे के बाद डीजे ना बजने दे लेकिन पूर्व के दावों घोषणाओं को ध्यान में रखकर फिलहाल तो यही कह सकते हैं कि दावे ढोल की पोल साबित ना हो।
शुभ मुर्हत है शादियां भी होनी है। इससे करोड़ों लोगों को रोजगार भी मिलता है। बस सरकार कुछ ऐसा करे कि सड़कों पर नागरिकों को जाम में ना फंसना पड़े।
(प्रस्तुतिः संपादक रवि कुमार बिश्नोई दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)
12 नवंबर से छह मार्च तक होंगी शादियां, नाचने और खाने को मिलेगी दावत, बस भगवान यात्रियों को जाम में ना फंसाए
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