नई दिल्ली 11 नवंबर। न्यायमूर्ति संजीव खन्ना आज राष्ट्रपति भवन में भारत के 51वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ली. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने न्यायमूर्ति खन्ना को पद की शपथ दिलाई. उन्होंने निवर्तमान सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ का स्थान लिया. जस्टिस चंद्रचूड़ सेवानिवृत्त हो गए.
न्यायमूर्ति संजीव खन्ना ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और अन्य गणमान्यों की उपस्थिति में भारत के 51वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ली. विधि एवं न्याय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल और दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना को बधाई दी. निवर्तमान सीजेआई डीवाई शपथ ग्रहण समारोह में शामिल हुए.
न्यायमूर्ति खन्ना दिल्ली हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति देव राज खन्ना के पुत्र और सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश एच.आर. खन्ना के भतीजे हैं.
निवर्तमान मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ की 16 अक्टूबर को सिफारिश के बाद केंद्र ने 24 अक्टूबर को न्यायमूर्ति खन्ना की नियुक्ति की आधिकारिक अधिसूचना जारी की. 14 मई, 1960 को जन्मे न्यायमूर्ति खन्ना ने 1983 में दिल्ली बार काउंसिल में अधिवक्ता के रूप में नामांकन कराया.
उन्होंने शुरुआत में तीस हजारी परिसर में जिला न्यायालयों में वकालत की, बाद में दिल्ली हाईकोर्ट और न्यायाधिकरणों में गए. उन्होंने आयकर विभाग के वरिष्ठ स्थायी अधिवक्ता के रूप में लंबे समय तक काम किया. वर्ष 2004 में उन्हें राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली के लिए स्थायी अधिवक्ता (सिविल) नियुक्त किया गया. उन्हें 2005 में दिल्ली हाईकोर्ट के अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया और 2006 में वे स्थायी न्यायाधीश बने. न्यायमूर्ति खन्ना को 18 जनवरी, 2019 को सुप्रीम कोर्ट में पदोन्नत किया गया.
वह कई ऐतिहासिक निर्णयों का हिस्सा रहे हैं, जिनमें इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (ईवीएम) की पवित्रता को बरकरार रखना, चुनावी बॉन्ड योजना को असंवैधानिक घोषित करना, जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को हटाने का समर्थन करना और दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को अंतरिम जमानत देना शामिल है.
गौरतलब है कि जस्टिस खन्ना का कार्यकाल सिर्फ 6 महीने का होगा। 64 साल के जस्टिस खन्ना 13 मई 2025 को रिटायर होंगे। सुप्रीम कोर्ट जज के तौर पर जस्टिस खन्ना ने 65 फैसले लिखे हैं। इस दौरान वे करीब 275 बेंचों का हिस्सा रहे हैं।