Date: 21/11/2024, Time:

अंग्रेज चले गए और इन्हें छोड़ गए…,बंटेंगे तो कटेंगे पर अखिलेश यादव का तंज

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गाजियाबाद 06 नवंबर। उत्तर प्रदेश की राजनीतिक स्थिति आजकल काफी विवादास्पद है. हाल में लखनऊ और दिल्ली में हुए घटनाक्रम को देखकर अखिलेश यादव ने अपनी राय व्यक्त करते हुए कहा कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) विकास कार्यों को रोकती है और समाज का हर वर्ग भाजपा सरकार की नीतियों से परेशान है। गाजियाबाद विधानसभा के उपचुनाव में सपा प्रत्याशी सिंह राज जाटव के समर्थन में आयोजित कार्यकर्ताओं की बैठक को सम्बोधित करते हुए उन्होंने कहा कि हर वर्ग भाजपा के खिलाफ है। महंगाई, बेरोजगारी से सभी लोग दुरूखी है। बूथ पर काम करिये, जनता भाजपा को हटाने के लिए पूरी तरह से तैयार है। इस बार गाजियाबाद की जनता इतिहास रचने का काम करेगी। समाजवादी पार्टी की बड़ी जीत होगी। उन्होंने कहा कि समाजवादी सरकार में गाजियाबाद का हमेशा विकास किया गया। नेताजी और समाजवादी सरकार ने हमेशा गाजियाबाद को दिल्ली से बेहतर बनाने का काम किया लेकिन भाजपा विकास नहीं विनाश करती है। भाजपा विकास के कार्य को रोकती है।

जानकारी के मुताबिक, बैठक के बाद यादव ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि भाजपा उपचुनाव हार रही है इसीलिए टाल रही है। भाजपा को भनक लग गई थी कि जो लोग त्योहारों में अपने घर आए हैं वे इस बार भाजपा के खिलाफ वोट डालेंगे। इसीलिए हार के डर से चुनाव की डेट बदली गई है। इससे पहले अयोध्या के मिल्कीपुर विधानसभा क्षेत्र में भी चुनाव को टाल दिया गया था। उन्होंने कहा कि भाजपा लोकतंत्र और संविधान विरोधी है। लोगों को वोट डालने से रोकना चाहती है। साजिश और षडयंत्र करती है। पुलिस को आगे करके चुनाव लड़ना चाहती है। चुनाव आयोग चाहता है कि ज्यादा से ज्यादा लोग वोट डालने के लिए निकले लेकिन भाजपा सरकार पुलिस को आगे करके वोट डालने से रोकना चाहती है। यादव ने कहा कि भाजपा नफरत और बांटने की राजनीति करती है। फूट डालो और राज करो अंग्रेजों की नीति थी। अंग्रेज चले गए लेकिन वे अपनी नीति छोड़ गए। भाजपा उसी रास्ते पर चल रही है।

उत्तर प्रदेश में डीजीपी के कार्यकाल को लेकर नए नियम बनाए जाने पर यादव ने कहा कि भाजपा सरकार बेइमानी और अन्याय करने के लिए तथा कानून की धज्जियां उड़ाने के लिए अपने किसी खास अधिकारी को डीजीपी पद पर बैठाना चाहती है, इसीलिए नियमों में बदलाव किया है। जिनको खुद के भविष्य का पता नहीं है वे डीजीपी के लिए 2 साल के कार्यकाल का नियम बना रहे हैं। ये फैसला यह साबित कर रहा है कि लखनऊ और दिल्ली के बीच सब कुछ ठीक नहीं है।

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