बुराईयों पर अच्छाई की प्रतीक दीयों की रोशनी में हर्षोल्लासपूर्ण माहौल में हम आज भी पूर्व की भांति दीपावली मनाने के साथ ही अपनों को शुभकामनाएं देने और समाज की भलाई व परिवार की खुशहाली की कामना कर रह है। सैंकड़ो वर्ष पूर्व जब भगवान राम रावण वध के बाद अयोध्या लौटे और दीयों की रोशनी के साथ ही इसी प्रकार से सबने इसी प्रकार से बधाई दी होगी और सच्चे मन से दी गई शुभकामना फलती भी रही होगी। आज भी हम ऐसा ही कर रहे हैं। यह पक्का है कि 90 प्रतिशत नागरिक मन की गहराईयों से सबको बधाई दे रहे हैं लेकिन वो क्या कारण है कि हर साल स्थिति खुशहाली की बजाय नागरिकों के लिए कुछ कष्टदायी होती जा रही है। शायद यही कारण है कि सरकार किसी की भी हो सबके द्वारा तमाम योजनाएं भी बनाई जा रही है और उस पर बजट भी खर्च किया जा रहा है। उसे लागू कराने और उसका लाभ पात्रों तक पहुंचाने के लिए कुछ लोगों को जिम्मेदारी भी दी जा रही है। आखिर वो कौन सा कारण है कि सबकुछ होने और सबको रोजगार देने की बात खुशहाली के लिए काम किए जाने की चर्चा फिर भी आबादी के एक बड़े वर्ग को मुफ्त राशन देने की आवश्यकता क्यों पड़ रही है। जहां तक मुझे पता है गरीब व्यक्ति भी ना तो किसी से मुफ्त लेना चाहता है ना इच्छा रखता है। फिर भी लोग मुफ्त में सिलेंडर अनाज ले रहे है। और जितनी राशि में एक आदमी चाय भी नहीं पी सकता वो लाइनों में लगकर प्राप्त कर रहा है। जब सबकुछ सही है तो ऐसा क्यों हो रहा है इस बारे में पीएम मोदी और उनके सहयोगी नेताओं को सोचने का समय मुझे लगता है अब आ गया है। सही स्थिति का आंकलन तो नेता ही कर सकते हैं लेकिन मुझे जो लगता है उसके अनुसार अच्छी अच्छी बाते करने खुशहाल माहौल बनाने की जो बात कर रहे हैं नागरिकों की आर्थिक बदहाली के लिए वही लोग जिम्मेदार है। क्योंकि अब तो न्यायालय के साथ नेता भी कहने लगे हैं कि नौकरशाहों का एक वर्ग योजनाओं को सही प्रकार से लागू नहीं करा रहा है और धन का दुरूपयोग भी कर रहे हैं। जिन लोगों को योजनाओं को लागू कराकर उन पर नजर रखनी चाहिए लेकिन नागरिकों का यह कहना कि भेड़ की खाल में छिपे कुछ सफेदपोश भेडिये और नकली आंसू बहाकर जनहित की बात करते हैं। अब जो आर्थिक अपराधी हो गए है। सरकारी जमीन बेचकर अपना बैंक बैलेंस बढ़ा रहे हैं और सरकारी नीतियों का पालन ना कराने वाले कुछ जनप्रतिनिधि भी इसके लिए जिम्मेदार नजर आते हैं।
जहां तक मैंने समझा है आदमी को दो टाइम की रोटी घर और वस्त्र मिल जाए तो कोई भी दुखी नहीं दिखाई देना चाहता। जहां तक लगता है जितनी सरकार और जनप्रतिनिधियों द्वारा घोषणाएं पूरी हो हो जाएं तो कोई दुखी नहीं रहेगा। सिर्फ हमें सिर्फ कागज का रावण जलाकर यह कहने से कि बुराई पर अच्छाई की जीत हो गई और दीये जलाकर आए दिन की समस्याओं से छुटकारा मिलने वाला नहीं है। हमें रावणरूपी कुछ सफेदपोशों के मन में जो स्वार्थ और दूसरों का हक मारने वाला रावण पैदा हो रहा है और दूसरों को नुकसान पहुंचाकर खुद के लाभ की जो इच्छाएं बढ़ रही है वो ही हमारी परेशानियों का कारण है। मुझे लगता है कि सरकार को इन रावण रूपी सोचों और विचारों का वध करने का अभियान चलाने की आवश्यकता है। अगर हम सफेदपोश सियारों की भांति सोचने वाले लोगों को सुधारने और सरकार के कार्यो को जनता तक पहुंचाने में सफल हो जाते हैं तो वाकई दीयों की रोशनी और भगवान राम से मिली प्रेरणा को आत्मसात कर समाज में खुशहाली और भाईचारे की रोशनी प्रज्ज्वलित कर सकते हैं और जो बधाई दे रहे हैं उसका फल भी निकलकर सामने आ सकता है। इसलिए आओ भगवान राम कृष्ण ने जो हमें संदेश दिए उन पर चलते हुए एक दूसरे की भलाई औरों के जीवन में खुशहाली लाने का संकल्प लेते हुए समाज के हर आदमी को बधाई और शुभकामनाएं दें।
अगर विधायक और सांसद धार्मिक स्थानों को जाने वाली सड़कों को गडढा मुक्त करने की मांग करते तो ?
बीती 29 अक्टूबर को वाकई में संत महात्माओं की विचारधारा को आत्मसात कर सीएम के रूप में सरकार चला रहे योगी आदित्यनाथ मेरठ आए। उनके कार्यक्रम के उपरांत जनप्रतिनिधियों ने किसी ने इनर रोड सर्राफा व्यवसायियों आर्युवद विवि खेल सामग्री हस्तिनापुर में अंतराराज्यी बस अडडा तो कुछ ने असंगिठत क्षेत्रों के लिए योजनाएं शहर में ऐलीवेटेड रेड हवाई अडडे की आवश्यकता पर जोर देते हुए इन्हें देने की मांग की। इनमें से हवाई अडडा और वेस्ट यूपी में हाईकोर्ट बेंच तो पुरानी मांग है और जब भी कोई बड़ा व्यक्ति आता है तो उससे यह मांगे की जाती हैं और आश्वासन मिलते है। लेकिन इतने लंबे चिटठे समस्याओं के हमारे सीएम साहब के सामने रखने वाले जनप्रतिनिधियों की नजर मंदिरों और अन्य धार्मिक स्थानों को जाने वाली टूटी सड़कों की तरफ नहीं गई। अगर उनका उद्धार कराने की मांग की गई होती तो सीएम शायद तुरंत ही इस कार्य को पूरा कराने के निर्देश नौकरशाहों को दे सकते थे। क्योंकि अयोध्या मथुरा वृंदावन वाराणसी आदि सहित अन्य धार्मिक नगरों के विकास और सौंदर्यीकरण जीर्णोद्धार का कार्य प्राथमिकता से कराने की सोच को साकार रूप देने में लगे सीएम को अगर यह पता चल जाता कि ऐतिहासिक काली पलटन मंदिर को जाने वाले मार्ग को ही अभी तक गडढा मुक्त नहीं कराया गया है तो मुझे लगता है कि सीएम योगी धार्मिक स्थानों के मार्गो को सही कराने के साथ इस बात पर भी नजर रखते की भक्तों को वहां तक जाने आने में कोई कष्ट तो नहीं हो रहा है। तमाम जनप्रतिनिधियों ने उन्हें भगवान गणेश की प्रतिमा तो भेंट की लेकिन उनके प्रेरणास्त्रोत कार्य को आगे बढ़ाने का संकल्प नहीं ले पाए। नागरिकों की इस बात से मैं भी सहमत हूं कि सरकार जो करना चाहती और जिन उददेश्यों के लिए पीएम और सीएम दिन रात एक कर रहे हैं कुछ जनप्रतिनिधि उन पर ध्यान ना देकर भक्तों की समस्याओं को नजर अंदाज कर रहे है। जिसे ठीक नहीं कहा जा सकता। अगर भक्त इतना परेशान रहेंगे तो जो सोच उनके मन में है कि सरकार धार्मिक मान्यता को बढ़ावा देने और समस्या समाधान के लिए प्रयास करने वाली है यह सोच किसी कारण से बदलने लगी तो कई कठिनाईयां सत्ताधारी दल के सामने उत्पन्न हो सकती है। जबकि केंद्र व प्रदेश में पक्ष विपक्ष के मजबूत होने की कामना हर कोई करता है और मोदी और योगी के कार्यों से बहुत कम लोग मिलेंगे जो सहमत ना हो। मोदी योगी अच्छा काम कर रहे है। जनप्रतिनिधियों को भी मतदाताओं में ऐसी ही भावना का संचार करने की जरूरत है। वरना किस मुंह से वोट मांगेगे। जनता सवाल भी पूछेगी। इसलिए क्या यह अच्छा हो कि क्षेत्रीय जनप्रतिनिधि काली पलटन और वेस्ट एंड रोड के बीच व रूड़की रोड से शूटिंग रेज की रोड़ सही कराकर नागरिकों को दीवाली की शुभकामनाएं दें।
- रवि कुमार बिश्नोई
सम्पादक केसर खुशबू टाईम्स
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