बीजिंग 22 अक्टूबर। साल 2022 से पूर्व लद्दाख में भारत और चीन के बीच चल रही सीमा विवाद अब खत्म हो चुका है। ब्रिक्स सम्मेलन से पहले चीन ने ‘पैट्रोलिंग समझौते’ पर हामी भरी है। चीन ने मंगलवार को पुष्टि की कि वह पूर्वी लद्दाख में दोनों सेनाओं के बीच गतिरोध को खत्म करने के लिए वो भारत के साथ एक समझौते पर पहुंच गया है।
चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान ने यहां एक मीडिया ब्रीफिंग में कहा, “हाल ही में चीन और भारत चीन-भारत सीमा से संबंधित मुद्दों पर राजनयिक और सैन्य संबंधों के माध्यम से कई दौरों की वार्ता कर चुके हैं।”
दोनों देशों के बीच लंबे समय से चल रही तनाव की स्थिति में सोमवार को नरमी देखी गई। विवादित पेट्रोलिंग प्वॉइंट्स को लेकर एक समझौता हुआ है, जिसके तहत भारतीय सेना फिर से इन क्षेत्रों में पेट्रोलिंग कर सकेगी। शी जिनपिंग, जो ब्रिक्स समिट में हिस्सा लेने वाले हैं, इसमें कई बड़ी बैठकों में भाग लेंगे, जिसमें ब्रिक्स प्लस डायलॉग भी शामिल है। एक्सपर्ट्स का मानना है कि इस समिट में भारत और चीन के नेताओं के बीच द्विपक्षीय वार्ता होने की उम्मीद है।
भारत और चीन के बीच सीमा विवाद एक बड़ा मुद्दा रहा है, लेकिन अब इस फैसले से यह समस्या खत्म होती दिखाई दे रही है। यह बैठक दोनों देशों के रिश्तों में सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगी।एक्सपर्ट्स का कहना है कि 2020 में गलवान में हुई झड़प के बाद से भारत-चीन के रिश्तों में तल्खी बढ़ गई थी। हालांकि, यह एग्रीमेंट दोनों देशों के लिए एक नई शुरुआत का प्रतीक है। प्रधानमंत्री मोदी और जिनपिंग के बीच पिछली बार 2023 में दक्षिण अफ्रीका में ब्रिक्स की बैठक के दौरान बातचीत हुई थी। इस बीच, जियोपॉलिटिक्स में कई बदलाव आए हैं, और चीन के पश्चिमी देशों के साथ रिश्ते भी अब पहले जैसे नहीं रहे हैं, जिससे उसे बैकफुट पर देखा जा रहा है।
भारत-चीन सीमा विवाद बहुत पुराना
एलएसी 1962 के भारत-चीन युद्ध के बाद अस्तित्व में आया लेकिन इसे ठीक से सीमांकित नहीं किया गया है। इस कारण यह दोनों पड़ोसियों के बीच लंबे समय से चले आ रहे विवाद का केंद्र रहा है, जिसमें पूर्व में अरुणाचल प्रदेश से लेकर उत्तर में लद्दाख तक के क्षेत्र शामिल हैं।
एलएसी भौगोलिक नियंत्रण के क्षेत्रों को विभाजित करती है, न कि क्षेत्रीय दावों को। भारत के अनुसार, वास्तविक सीमा 3,488 किमी लंबी है, लेकिन चीन का कहना है कि यह काफी कम है। बीजिंग अरुणाचल प्रदेश सहित पूर्वोत्तर में भारत के लगभग 90 हजार वर्ग किमी क्षेत्र पर दावा करता है जबकि नई दिल्ली का कहना है कि चीन के कब्जे वाले अक्साई चिन में 38 हजार वर्ग किमी भूमि लद्दाख का हिस्सा होनी चाहिए।
2020 की झड़पों के कारण भारत और चीन, दोनों ने सैनिकों की संख्या बढ़ा दी थी, लेकिन उन्होंने तब से पैंगोंग त्सो झील के उत्तरी और दक्षिणी किनारे, गोगरा और गलवान घाटी के कुछ क्षेत्रों से सेना वापस बुला ली है।