asd जेल में बंद कैदी के खिलाफ जारी हो गया गैर जमानती वारंट, हाईकोर्ट ने दिये जांच के आदेश

जेल में बंद कैदी के खिलाफ जारी हो गया गैर जमानती वारंट, हाईकोर्ट ने दिये जांच के आदेश

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प्रयागराज 29 जनवरी। आर्थिक तंगी के चलते दस साल से जेल में बंद हत्यारोपी के खिलाफ निचली अदालत ने गैरजमानती वारंट जारी कर दिया। जबकि, अभियोजन की ओर से पेश किए जाने वाले 16 में से एक भी गवाह पेश नही हो सके। कोर्ट ने मैनपुरी के जिला जज राज्य विधिक सहायता प्राधिकरण को मामले की जांच का आदेश दिया है।

यह आदेश न्यायमूर्ति अजय भनोट की अदालत ने आरोपी कन्हैया पाल की जमानत अर्जी मंजूर करते हुए दस साल में गवाही, जमानत न होने और निचली अदालत द्वारा जेल में निरुद्ध कैदी के खिलाफ गैर जमानती वारंट (एनबीडब्ल्यू ) जारी किए जाने पर हैरानी जताई। कोर्ट ने कहा मामला हैरान करने वाला है…गवाही न जमानत, दस साल से जेल में बंद आरोपी के खिलाफ एनबीडब्ल्यू, गजब है।

मामला मैनपुरी के बेवर थाना क्षेत्र का है। मनिकापुर निवासी दिनेश सिंह ने 21 अक्तूबर 2013 की रात लगभग दस बजे हीरालाल कालोनी निवासी कन्हैया पाल सिंह के खिलाफ अपने भाई विनोद की हत्या की एफआईआर दर्ज करवाई थी। आरोप लगाया कि वह अपने भाई विनोद और भतीजे अंकित के साथ भोगांव से लौट रहा था। तभी हीरालाल कालोनी के करीब पहुंचने पर भाई विनोद कन्हैया से रुपये लेने की बात कह कर उसके घर गया था।

कुछ देर बाद घर के भीतर गोली चलने की आवाज आई और फिर कन्हैया तमंचा लेकर घर से भाग निकला। दोनों ने घर में घुस कर देखा तो विनोद का शव खून से लथपथ जमीन पर पड़ा था। पुलिस ने एफआईआर दर्ज करने के बाद आरोपी कन्हैया को 6 दिसंबर 2013 को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। इसके बाद से वह पिछले दस साल से अब तक वह जेल में निरुद्ध है।

आर्थिक तंगी के चलते पैरवी के अभाव में दस साल से जेल में बंद आरोपी की ओर से अधिवक्ता संजय कुमार यादव ने हाईकोर्ट में जमानत अर्जी दाखिल की। दलील दी कि दस साल बाद भी एक भी गवाह नही शुरू हो सकी है और गवाही शीघ्र पूरी होने की संभावना नहीं है, पहले ही आर्थिक तंगी और पैरवी के अभाव में आरोपी दस साल से जेल में निरुद्ध है। किसी भी मुल्जिम को अनंतकाल के लिए जेल में नही रखा जा सकता।

जमानत अर्जी पर अदालत में पेश निचली अदालत के रिकॉर्ड के मुताबिक वर्ष 2013 में एफआईआर दर्ज होने के बाद मार्च 2014 में निचली अदालत ने आरोपी की जमानत खारिज कर दी। आर्थिक तंगी के चलते वह हाईकोर्ट का दरवाजा न खटखटा सका। इस बीच 16 गवाहों की सूची के साथ पुलिस ने निचली अदालत में आरोप पत्र दाखिल किया। लेकिन दस साल बीत जाने के बाद आजतक गवाही शुरू नहीं हो सकी। इससे भी ज्यादा कोर्ट तब हैरान हुई जब पता चला कि निचली अदालत ने वर्षों से न्यायिक हिरासत में जेल में बंद आरोपी के खिलाफ गैर जमानती वारंट भी जारी कर रखा है।

हाईकोर्ट ने आरोपी को दस वर्षों में विधिक सहायता न प्रदान किए जाने को राज्य विधिक सहायता प्राधिकरण की विफलता करार देते हुए इसकी भी जांच का आदेश दिया है।

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