Date: 16/10/2024, Time:

प्रतापगढ़ के जिया उल हत्याकांड में दस को उम्रकैद की सजा

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लखनऊ 10 अक्टूबर। लखनऊ की सीबीआई स्पेशल कोर्ट ने DSP जियाउल हक हत्याकांड में 10 दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई है। साथ ही सभी पर 19,500 का जुर्माना लगाया है। कुल जुर्माने की रकम 1 लाख 95 हजार जमा की जाएगी। जिसका आधा जियाउल हक की पत्नी को दिया जाएगा। कोर्ट ने 5 अक्टूबर को 10 लोगों को दोषी करार दिया गया था। 11 साल पहले 2 मार्च, 2013 को कुंडा में सर्किल अफसर (CO) जियाउल हक की लाठी-डंडों से पीटने के बाद गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। हत्या का आरोप विधायक रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया और उनके करीबी ग्राम प्रधान गुलशन यादव पर लगा था।

सरकारी वकील केपी सिंह ने बताया कि करीब 11 साल बाद सीबीआई कोर्ट ने प्रतापगढ़ में जियाउल हक हत्याकांड का फैसला सुनाया है। कोर्ट ने सभी 10 दोषियों को आजीवन कारावास और सभी पर 19,500 का जुर्माना लगाया है। जुर्माने की राशि का आधा पैसा सीओ जियाउल की पत्नी परवीन आजाद को देने का आदेश दिया है।

दोषियों में फूलचंद यादव, पवन यादव, मंजीत यादव, घनश्याम सरोज, राम लखन गौतम, छोटेलाल यादव, राम आसरे, मुन्ना पटेल, शिवराम पासी, और जगत बहादुर पाल उर्फ बुल्ले पाल शामिल हैं। सभी को आज (बुधवार) कोर्ट में पेश किया किया गया। सजा सुनाए जाने के बाद सभी को जेल भेज दिया गया। इस हत्याकांड में रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया और उनके करीबी ग्राम प्रधान गुलशन यादव को पहले ही क्लीन चिट मिल चुकी है।

गौरतलब है कि 2 मार्च 2013 को शाम 7:30 बजे कुंडा के बलीपुर गांव के प्रधान नन्हे यादव की जमीन विवाद के चलते गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. प्रधान के समर्थक असलहों से लैस होकर बलीपुर पहुंचे और कामता पाल के घर में आग लगा दी. घटना की जानकारी मिलने पर सीओ कुंडा जियाउल हक, तत्कालीन हथिगवां एसओ मनोज कुमार शुक्ला और कुंडा एसओ सर्वेश मिश्रा पुलिसकर्मियों के साथ मौके पर पहुंचे. भीड़ ने पुलिस को घेर लिया. सीओ आक्रोशित भीड़ को समझा रहे थे, झगड़ा चल ही रहा था कि प्रधान नन्हे यादव के छोटे भाई सुरेश यादव की भी गोली मारकर हत्या कर दी गई.

इसके बाद आक्रोशित भीड़ ने सीओ जिया-उल हक की पीट-पीटकर हत्या कर दी. रात 11 बजे जब पुलिस कर्मियों ने सीओ की तलाश शुरू की तो प्रधान के घर के पीछे फुटपाथ पर जियाउल हक का शव मिला. भीड़ ने सीओ जियाउल हक की पिटाई के बाद गोली मारकर हत्या कर दी थी. जियाउल हक हत्याकांड में दो एफआईआर दर्ज की गई थी. पहली एफआईआर एसओ हथिगवां मनोज कुमार शुक्ला ने दर्ज कराई थी, जबकि दूसरी एफआईआर सीओ जियाउल हक की बीवी परवीन आजाद ने दर्ज कराई थी.

परवीन आजाद द्वारा दर्ज कराई गई एफआईआर में तत्कालीन मंत्री रघुराज प्रताप सिंह उर्फ ​​राजा भैया, गुलशन यादव अक्षय प्रताप सिंह, हरिओम श्रीवास्तव और नन्हे सिंह को आरोपी बनाया गया था. हालांकि जांच के बाद सीबीआई ने राजा भैया और उनके साथियों को क्लीन चिट दे दी थी. परवीन आजाद ने सीबीआई की क्लीन चिट पर आपत्ति जताई और सुप्रीम कोर्ट में अपील की. ​​सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर दोबारा जांच हुई और 23 दिसंबर 2023 को सीबीआई ने राजा भैया और उनके साथियों को फिर से क्लीन चिट दे दी.

जिले के खुखुंदू थाना क्षेत्र में रहने वेले जियाउल हक के पिता शमशुल हक कोर्ट के फैसले से खुश हैं। उन्होंने कहा कि बेटे के जाने के बाद जैसे मुझे असंतोष था, अब वैसे ही दोषियों के परिजनों को भी होगा। 11 साल के बाद सही फैसला आया है। एक आदमी के बदले 10 आदमियों को उम्रकैद हो गई। हम फैसले से पूरी तरह संतुष्ट हैं।

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