Date: 16/10/2024, Time:

कुछ धोखेबाजों के कारण कम हो रही है विश्वसनीयता, सरकार दे ध्यान!

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अंग्रेजों के जमाने के कुछ कानूनों में सरकार द्वारा बदलाव किया जा रहा है और कुछ को खत्म भी किया जा रहा है। तथा मानवीय दृष्टिकोण को ध्यान में रखते हुए नए नियम बनाए जा रहे हैं और उनका पालन किए जाने की बात सामने आ रही है तो फिर धोखेबाजों चाहे वो किसी भ्ीा क्षेत्र में सक्रिय हो उनकी गतिविधियों को जिम्मेदार क्यों नहीं रोक पा रहे हैं। अगर देखें तो प्रतिदिन मीडिया में पढ़ने सुनने देखने को ऐसी घटना जरूर मिलेगी जिसमें अपनों के साथ धोखा कर उन्हें नुकसान पहुंचाने की कोशिश की गई हो।
आज एक खबर पढ़ने को मिली कि बिजनौर नगर कोतवाली में मोहल्ला खत्रियान में संजीव बनकर एक विधवा के साथ रह रहा था शादाब। शामली के कांधला में रामलीला देखने गए किशोर पर दोस्तों से चाकू से हमला कर मार डाला। ऐसे समाचार पढ़ने को ना मिले ऐसा कोई दिन नहीं गुजरता। कही बाप बेटे को मार रहा है तो कहीं बेटा मां बाप से धोखा दे रहा है। कहीं पत्नी पति को प्रेमी से मरवा रही है तो कहीं पति ही पत्नी को मरवा रहा है।
ऐसी घटनाओं से अपनेपन की भावना कम हो रही है तो मन में डर बैठने से इनकार नहीं किया जा सकता कि साथ चल रहा व्यक्ति भले ही कितना अपना हो लेकिन कुछ ऐसा ना कर बैठे कि जान से हाथ धोना पड़े या घायल होकर बिस्तर पर रहना पड़े। दोस्तों हर काम के लिए ना तो सरकार पर आश्रित रहा जा सकता है और ना ही इस आपाधापी के युग में सरकार हर समस्या का समाधान आसानी से कर सकती है। वो भी उन परिस्थितियों में जब उसे बिंदु और व्यवस्था की जानकारी ना हो। वैसे तो हर आदमी समझदार है लेकिन मेरा आग्रह है कि आपस में विश्वसनीयता संबंधों में मधुरता बनी रहे इसके लिए भय बिन प्रीत ना होए गोपाला को ध्यान में रखते हुए हमें जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों से मिलकर या सोशल मीडिया मंचों के माध्यम से कुछ ऐसे सुझाव प्रस्तुत करने चाहिए जिनको ध्यान में रखते हुए शासन स्तर पर नियम बने या ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए कुछ और प्रयास हो। लेकिन वक्त की यह मांग होती जा रही है कि धोखाधड़ी करने वालों को सजा मिलनी चाहिए और वो ऐसी हो कि दूसरे भी उससे सबक ले सके।
(प्रस्तुतिः संपादक रवि कुमार बिश्नोई दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)

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