प्यारे पाठको एक समय था जब सोशल मीडिया और गूगल को लोग नहीं जानते थे उस समय परिवार का जो मुखिया होता था अपनी जानकारियों से समस्याओं के समाधान और अपना काम पूरा कराने के लिए उसकी ओर निहारा करते थे। कुछ लोग कहते हैं कि परिवार के मुखिया मुखिया का स्थान ग्रहण गूगल ने आम आदमी को हाथ चलाने और कुछ सोचने के मामले में ठप कर दिया है। लेकिन मेरा मानना है कि गूगल ने परिवार के मुखिया का स्थान ग्रहण कर धीरे धीरे सबकी समस्याओं के समाधान कर जानकारी प्राप्त करने के मार्ग खोल दिए हैं और अब इसी के चलते परिवार का वो मुखिया और भी जागरूक और ज्ञानवान हो गया है। ऐसे में गूगल को किसी का नुकसान करने वाला कैसे सोच और कह सकते हैं।
समाज में जब कोई आम आदमी से ज्यादा जानकारी प्राप्त कर उसका बखान करता है तो उसे विकीपीडिया और गूगल ब्यॉय की संज्ञा देता है। ऐसा अपनों को ही कहकर महिमामंडित किया जा सकता है तो फिर गूगल की उपलब्धि और जीवन में उसकी जरूरत को ना तो हम नजरअंदाज कर सकते हैं और ऐसा सोचना भी नहीं चाहिए।
इन्हीं भावनाओं के तहत आओ गूगल को जन्मदिन की बधाई देते हुए वो और भी ज्ञानवान बने ऐसी कामना की जाए। बताते चलें कि हर वर्ष जबसे सोशल मीडिया और गूगल प्रकाश में आए तब से इस दिन गूगल का जन्मदिन मनाया जाता है और आज 27 सितंबर का ही वो दिन है जिसने गूगल और हमें एक दूसरे के करीब लाने के साथ उपलब्धियों से अवगत कराया और सहयोग का हाथ बढ़ाने के लिए मजबूर किया।
गूगल की स्थापना और इसका प्रचलन कैसे शुरू हुआ और क्या क्या किया गया इस बारे में एक समाचार पत्र में गूगल से बोलो हैप्पी बर्थडे हेडिंग से छपी खबर के अनुसार गूगल की यात्रा शुरू होती है 27 सितंबर 1998 से, लैरी पेज और सर्गेई ब्रिन ने आधिकारिक रूप से आज के दिन गूगल डॉट कॉम की शुरूआत थी। स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय के शोधार्थी रहे लैरी और सर्गेई ने अकादमिक शोध के तौर पर इंटरनेट सर्च को आसान एवं सटीक बनाने के लिए काम करना शुरू किया था। उन्होंने सबसे पहले बैकरब नाम का सर्च इंजन विकसित किया था, लेकिन तेज और सटीक सर्च इंजन बनाने की प्रतिबद्धता के परिणाम स्वरूप क्रांतिकारी सर्च इंजन गूगल सामने आया। उन्होंने गगूल इंक नाम से कंपनी बनाई और गूगल डॉट कॉम को अपने गूगल से नाम पंजीकृत कराया।
गूगोल से निकला: गूगल नाम की भी दिलचस्प कहानी है। शब्दों के खेल गूगोल से यह नाम निकला है, जो एक के पीछे 100 शून्य तक को प्रदर्शित करता है। विस्तृत डेटा को देखते हुए सर्च इंजन का नाम गूगल रखा गया। पेजरैंक एल्गोरिदम पर आधारित वेब पेजों को सूचीबद्ध कर सिलसिलेवार तरीके से दिखाने की नई तकनीक ने गूगल को उस समय के अपने प्रतिस्पर्धियों से बहुत आगे लाकर खड़ा कर दिया। गूगल का एल्गोरिदम न केवल वेब पेजों की सामग्री पर काम करता था, बल्कि किसी विशिष्ट पेज की ओर इशारा करने वाले लिंक की संख्या और गुणवत्ता पर भी काम करता था। इससे यूजर को सटीक परिणाम मिलने लगे, जिससे इंटरनेट की दुनिया ही बदल गई। इस तरह गूगल यूजर्स की पहली पसंद बन गया।
मुख्यालय है खासः गूगल की पहचान काम के साथ मुख्यालय के लिए भी होती है। यहां पर मिलने वाली अत्याधुनिक सुविधाओं और काम करने के बेहतरीन माहौल ने इसे आईटी जगत में आदर्श के तौर पर स्थापित किया है। गूगल का वर्तमान मुख्यालय 1999 से कैलिफोर्निया के माउंटेन व्यू में स्थित है और वर्तमान में इसके मुख्य कार्यकारी अधिकारी भारतीय मूल के सुंदर पिचाई हैं।
हर रोज नई कहानी बताता डूडल: गूगल के डूडल की लोकप्रियता किसी से छिपी नहीं है। गूगल प्रतिदिन अपने लोगो में नया प्रयोग करता है। उस पर क्लिक करते ही पूरी कहानी सामने आ जाती है। लोगो में इसी प्रयोग को डूडल कहते हैं। इसी डूडल के माध्यम से गूगल दुनिया की एतिहासिक घटनाओं को बयां करता है। पहली बार लैरी और सर्गेई ने कार्यालय से बाहर होने की जानकारी देने के लिए इसका प्रयोग किया था। तब गूगल की अंग्रेजी स्पेलिंग के दूसरे ओ के पीछे एक फिगर ड्रॉइंग लिंक की थी। यहीं से डूडल का विचार आया। अक्तूबर 1999 में हैलोवीन के अवसर पर ओ के स्थान पर दो कट्टू लगाए गए। बाद में लैरी और सर्गेई ने उस समय के प्रसिद्ध वेबमास्टर डेनिस ह्वांग को अपना डूडलर नियुक्त किया। इसके बाद गूगल ने अपने डूडल में नित नए प्रयोग शुरू कर दिए। जैसा कि पाठक जानते हैं कि कददू से आगरा का पेठा विश्व प्रसिद्ध है और कददू यानि भेलिया की सब्जी चावल और पूरी को कुछ मिनटों में पचा देते हैं। पाचन क्रिया और पेठे के जन्मदाता कददू के नाम पर एक दूसरे का मजाक उड़ाने में उपयोग किया जाता है मगर जैसा कि जीवन में हमारे कददू का स्वस्थ रहने के मामले में स्थान है। वैसा ही गूगल के प्रचलन में दो कददूओं की भूमिका बड़ी महत्वपूर्ण रही। ग्रामीण कहावत खोटा सिक्का भी कभी कभी काम आ जाता है उसी प्रकार कददू का वर्तमान में हमारे जीवन के हर क्षेत्र में गूगल के माध्यम से कितना बड़ा स्थान है उसे भी नहीं भूला सकते। इन्हीं शब्दों के साथ गूगल के और विस्तार की कामना करते हुए सभी से आग्रह है कि इस पर दिखाई जा सकने वाली बुरी बातों को दूर भगाएं और इसके माध्यम से जीवन की उन्नति और परिवार की खुशहाली देश के विकास समाज में भाईचारा बनाने में जो प्राप्त सामग्री का सहयोग है उसके प्रति नमन करते हुए गूगल को जन्मदिन की बधाई देते हुए जो लोग इसका खुलकर उपयोग कर रहे हैं उन्हें जरूर गुनगुनाना चाहिए क्योंकि भारतीय संस्कृति का एक हिस्सा है कि अगर हमारे लिए कोई कुछ करता है तो हम उसे याद रखते ही है मानवीय दृष्टिकोण से भी उसकी प्रगति की कामना करते हैं तो फिर गूगल के मामले में पीछे क्यों रहें।
(प्रस्तुतिः संपादक रवि कुमार बिश्नोई दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)
हम सबके अपने गूगल को जन्मदिन की बधाई! आओ इसकी उपलब्धियों व जानकारियों का लाभ उठाकर परिवार की खुशहाली ?
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