मेडा ने चार करोड़ की जमीन रोडवेज को दान दी चार्जिंग स्टेशन के लिए। यह तो वीसी साहब अच्छा निर्णय है लेकिन पिछले दो साल में जितने प्लान विकास या जनहित के बनाए अथवा आपसे पूर्व जो योजनाएं चल रही थी उनकी स्थिति क्या है यह भी आम आदमी को पता चलना चाहिए। क्योंकि जितने भी कार्य योजनाएं बनाई जाती हैं उसमे पैसा सरकार से आए या मेडा अपने पास से लगाए होता वो सब जनता का है इसलिए किस काम में कितना पैसा खर्च हुआ और कार्यों की स्थिति क्या है यह जानने का अधिकार सबको है। वीसी साहब जहां तक गंगानगर में घूमेंगे फिरेंगे रिलैक्स करेंगे खेलेंगे कूदेंगे ऐसी योजनाएं पूर्व में जब यहां रामनवल सिंह वीसी थे तब भी बनी थी और साईकिल टैªक अब तक जो बने हैं उनकी स्थिति किसी से छिपी नहीं है। प्राधिकरण की अन्य कॉलोनियों में पार्कों का क्या हाल है और वहां जो योजनाएं बनाई गई थी वो किस स्थिति में है उसकी भी खोज खबर होनी चाहिए। शायद पिछले साल भी ओपन जिम की योजना को लेकर चर्चा हुई थी उसका क्या हुआ। यह बातें पहले जनता को पता चलें और उसके बाद आप यह योजनाएं बनवाएं तो अच्छा है क्योंकि हर वीसी अपने हिसाब से योजना बनाता है और बाद में वह भगवान भरोसे हो जाती हैं और उनका लाभ नागरिकों को नहीं मिल पाता है। आप नागरिकों के मनोरंजन और स्वास्थ्य की योजनाएं तो बनाएं लेकिन ऐसी योजनाएं भी बनाएं कि उनका लाभ आम आदमी को मिले। वह सिर्फ इवेंट या घोषणा बनकर ना रह जाए। अभी तक तो मेडा की कॉलोनियों में पार्क हैं पहले उनका रखरखाव हो और यह योजना चलती रहे तो फायदा है वरना सिर्फ घोषणआों व दावों से कुछ होने वाला नहीं है।
वीसी साहब बाहय विकास निधि के तहत मिली राशि के माध्यम से लोग निर्माण विभाग द्वारा विकास कार्य कराए जाएंगे अच्छी बात है। ऐलिवेटेड रोड बने शहरवासियों को जाम से मुक्ति मिले यह योजना भी अच्छी है। मगर पिछले कुछ दशक में जो देखा वीसी साहब उसे देखकर जो समझ में आया है वो यही है कि आप 300 करोड़ नहीं 3000 करोड़ खर्च करके भी जाम से मुक्ति तब तक नागरिकों को नहीं दिला सकते जब तक सरकार की निर्माण नीति और सौंदर्यीकरण की योजना का पालन कराने के तहत अवैध निर्माण और कच्ची कॉलोनियां जो ज्यादातर आपके सहयोगी अधिकारियों जोन प्रभारी ऐई और जेई के सहयोग से हो रहे हैं उन्हें नहीं रोका जाता। तब तक जाम से मुक्ति दिलाने की बात खोखले दावों के अलावा कुछ नहीं कहा जा सकता।
वीसी साहब सीडीओ रहते हुए आपके द्वारा बुलंदशहर में जिस प्रकार से आम आदमी के हित व विकास की योजनाएं बनाई और भ्रष्टाचार से मुक्त माहौल में उन्हें पूरा कराया गया अगर उसी आत्म विश्वास के साथ शहर के नागरिकों को जाम से मुक्ति दिलाकर उनके मनोरंजन के लिए पार्क विकसित करने हैं तो पहले अपने कुछ सहयोगियों की कार्यप्रणाली में सुधार कराईये जो तमाम योजनाआंे को जोंक की तरह चाट रहे हैं।
मेरा मानना है कि अक्टूबर माह में इन योजनाओं की चर्चा के नाम पर जो जनप्रतिनिधियों के साथ विचार की बात है उसमें वैसे तो कोई भी विभाग हो ज्यादातर अपने इर्द गिर्द घूमने वाले लोगों को बुलाकर चर्चा के नाम पर बुलाकर इतिश्री कर ली जाती है मगर सांसद विधायक मेयर और जिला पंचायत अध्यक्ष एमएलसी को स्वयं संज्ञान लेकर मेडा द्वारा जो करोड़ों रूपये खर्च करने की योजनाएं बनाई जा रही है पहले पूर्व की योजनाओं को देखा जाना चाहिए फिर विचार हो क्या शहर के लोगों को जाम से मुक्ति मिल सकती है और इस पर पूरा विचार के बाद ही योजना को अनुमति देनी चाहिए क्योंकि योजनाएं बनकर बंद हो अधूरा काम हो और जनता का पैसा बर्बाद होता रहे यह नहीं होना चाहिए।
(प्रस्तुतिः संपादक रवि कुमार बिश्नोई दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)
जनप्रतिनिधि दें ध्यान, पुरानी योजनाओं का क्या हुआ, मांगे जवाब, वीसी साहब ! पहले पुराने पार्कों का सौंदर्यीकरण, अवैध निर्माण और कच्ची कॉलोनियों पर अंकुश लगाया जाए, सिर्फ इवेंट बना देने से कुछ होने वाला नहीं है, शहर को जाम से मुक्ति करोड़ों खर्च करने से नहीं सख्त निर्णय लेने से मिलेगी, चाहे 300 की 3000 करोड़ क्यों ना खर्च किए जाएं
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