प्रयागराज 25 फरवरी। इलाहाबाद हाइकोर्ट ने नोएडा स्पोर्ट्स सिटी घोटाले में सीबीआई और ईडी जांच का निर्देश दिया है. कोर्ट ने इस मामले में बिल्डरों, कंसोर्टियम और नोएडा के अधिकारियों के खिलाफ घर खरीदारों के पैसे हड़पने, नोएडा के अधिकारियों, डेवलपर्स और घोटाले से जुड़े अन्य व्यक्तियों सहित सभी शामिल लोगों के खिलाफ जांच शुरू करने का निर्देश दिया है. आदेश में पूरे स्पोर्ट्स सिटी प्रोजेक्ट को भ्रष्टाचार की एक पाठ्यपुस्तक का विशेष उदाहरण बताया.
यह आदेश न्यायमूर्ति महेश चंद्र त्रिपाठी एवं न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार की खंडपीठ ने नोएडा में चार स्पोर्ट्स सिटी परियोजनाओं में से तीन को कवर करते हुए दस अलग-अलग निर्णय दिए. इसमें प्रमुख डेवलपर्स और कंसोर्टियम हिस्सेदारों दोनों की जवाबदेही को ठहराया गया. कोर्ट ने लैंड यूज वायलेशन, वित्तीय अनियमितता, दिवालिया कार्यवाही और स्पोर्ट्स सुविधाओं के पूरा न होने सहित कई अन्य पहलुओं की जांच करने के आदेश दिए हैं. कोर्ट ने कहा कि उसके पास जांच सीबीआई को सौंपने के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं है.
कोर्ट ने पाया कि नोएडा प्राधिकरण से महत्वपूर्ण लाभ और रियायतें प्राप्त करने के बावजूद डेवलपर्स ने परियोजना में अनिवार्य खेल सुविधाओं के निर्माण पर ध्यान नहीं दिया. इसके बजाय, उन्होंने व्यवसायिक विकास पर ध्यान केंद्रित किया. यह आदेश मुख्य रूप से सेक्टर 78, 79, और 101 में स्थित परियोजनाओं से संबंधित हैं, जहां ज़ानाडु एस्टेट प्रमुख डेवलपर है. वहीं, सेक्टर 150 में 2 अन्य परियोजनाओं का निर्माण लॉजिक्स इंफ्रा डेवलपर्स और लोटस ग्रीन्स कंस्ट्रक्शन द्वारा किया गया था. कोर्ट ने यह भी देखा कि कुछ परियोजनाओं के डेवलपर्स, जैसे कि लॉजिक्स, दिवालियापन की प्रक्रिया से गुजर रहे हैं. अदालत ने इसे एक जानबूझकर रणनीति बताया, ताकि डेवलपर्स अपनी वित्तीय और कानूनी जिम्मेदारियों से बच सकें.
कोर्ट ने राज्य सरकार को आदेश दिया कि वह वित्तीय कुप्रबंधन और धोखाधड़ी की जांच शुरू करे. इसके साथ ही, नोएडा प्राधिकरण को भी बकाया राशि वसूलने और कानूनी कार्रवाई करने का निर्देश दिया गया. कोर्ट ने कहा कि डेवलपर्स ने परियोजना को निर्धारित योजना के अनुसार नहीं बनाया और दिवालियापन का रास्ता अपनाया ताकि वे अपनी देनदारियों से बच सकें. इस घोटाले के संबंध में सीएजी (CAG) की रिपोर्ट में भी वित्तीय अनियमितताओं का खुलासा हुआ था, जिससे नोएडा प्राधिकरण और राज्य सरकार को भारी नुकसान हुआ है. रिपोर्ट में बताया गया कि डेवलपर्स को जमीन कम कीमत पर दी गई और कई नियमों का उल्लंघन किया गया. इसके बावजूद, खेल सुविधाओं का निर्माण अधूरा था, लेकिन फिर भी अधिभोग प्रमाण पत्र जारी कर दिए गए थे.
CAG की रिपोर्ट में नोएडा स्पोर्ट्स सिटी परियोजना में बड़ी वित्तीय अनियमितताओं का खुलासा किया गया है, जिसके परिणामस्वरूप नोएडा प्राधिकरण और राज्य सरकार को करीब 9000 करोड़ रुपये का भारी नुकसान हुआ. रिपोर्ट के अनुसार, डेवलपर्स को जमीन कम कीमत पर दी गई और नोएडा प्राधिकरण के नियमों को अनदेखा करते हुए स्वामित्व का अनधिकृत हस्तांतरण किया गया. लीज प्रीमियम, जुर्माना और ट्रांसफर चार्ज भी नहीं दिए गए, साथ ही खेल सुविधाओं का निर्माण अधूरा होने के बावजूद अधिभोग प्रमाण पत्र जारी कर दिए गए.
कोर्ट ने कहा कि CAG की रिपोर्ट 2021 में प्रकाशित हुई थी, लेकिन नोएडा प्राधिकरण और राज्य सरकार ने अभी तक इस मामले में कोई गंभीर कार्रवाई नहीं की. न तो FIR दर्ज की गई और न ही बिल्डरों से बकाया वसूलने के लिए कोई ठोस कदम उठाए गए. केवल डेवलपर्स को भुगतान की मांग के लिए नोटिस भेजे गए थे, जिसका कोई प्रभाव नहीं पड़ा. कोर्ट ने नोएडा प्राधिकरण और राज्य सरकार के अधिकारियों को उनकी निष्क्रियता और मिलीभगत के लिए कड़ी फटकार लगाई, यह कहते हुए कि कई अधिकारियों के बदलने के बावजूद कोई भी अधिकारी घाटे की भरपाई के लिए आगे नहीं आया.
नोएडा प्राधिकरण ने पहली बार 16 अगस्त 2004 को स्पोर्ट्स सिटी परियोजनाओं के विकास का प्रस्ताव रखा, जिसका उद्देश्य क्षेत्र में विश्व स्तरीय खेल सुविधाएं स्थापित करना था। 25 जून 2007 की बैठक में परियोजना के लिए पूरे नोएडा में 311.60 हेक्टेयर भूमि की पहचान की।
8 अप्रैल 2008 की बोर्ड बैठक में स्पोर्ट्स सिटी के लिए निर्धारित भूमि को बढ़ाकर 346 हेक्टेयर कर दिया गया। जिसमें सेक्टर 76, 78, 79, 101, 102, 104 और 107 शामिल थे। यह निर्णय आगामी राष्ट्रमंडल खेल 2010 से प्रभावित था।
परियोजना को आकार देने के लिए, ग्रांट थॉर्नटन को योजना का मसौदा तैयार करने और भूमि आवंटन के लिए दिशानिर्देश स्थापित करने के लिए नियुक्त किया गया। 18 सितंबर 2008 तक, नोएडा प्राधिकरण ने इन योजनाओं को संशोधित मास्टर प्लान 2031 में शामिल किया। 1 अक्टूबर, 2008 और 4 नवंबर, 2008 को परियोजना की रूपरेखा वाले ब्रोशर को अंतिम रूप दिया गया।
सितंबर 2010 में एक महत्वपूर्ण बदलाव हुआ, जब स्पोर्ट्स सिटी के लिए कुल भूमि क्षेत्र 311 हेक्टेयर से घटाकर 150 हेक्टेयर कर दिया गया। ग्रांट थॉर्नटन को फिर से एक संशोधित विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार करने का काम सौंपा गया, जिससे भविष्य के आवंटन के लिए आरक्षित मूल्य का निर्धारण किया गया। 2010-11 और 2015-16 के बीच 798 एकड़ में चार स्पोर्ट्स सिटी परियोजनाएं शुरू की गईं।
11 स्पोर्ट्स एक्टिविटी को बनाया जाना था
गोल्फ कोर्स (नौ होल) की निर्माण करीब 40 करोड़ रुपए।
मल्टीपर्पज प्ले फील्ड का निर्माण 10 करोड़ रुपए।
टेनिस सेंटर का निर्माण 35 करोड़ रुपए।
स्विमिंग सेंटर का निर्माण 50 करोड़।
प्रो-शाप्स/फूड बेवरेज का निर्माण 30 करोड़।
आईटी सेंटर / एडमिनिस्ट्रेशन / मीडिया सेंटर 65 करोड़।
इंडोर मल्टीपर्पज स्टोर्स (जिम्नैस्टिक्स, बैडमिंटन, टेबल टेनिस।
स्कायश, बास्केट बाल, वाली वाल रॉक क्लाइंबिंग) 30 करोड़।
क्रिकेट अकादमी, इंटरनल रोड एंड पार्क 25 करोड़।
हॉस्पिटल. सीनियर लिविंग/मेडिसिन सेंटर 60 करोड़।
मार्च 2024 तक, अलग-अलग डेवलपर्स पर नोएडा प्राधिकरण का बड़ा बकाया था
जनाडु इस्टेट प्राइवेट लिमिटेड (कंसोर्टियम) – सेक्टर 78, 79 और 101 में करीब 1356.88 करोड़ रुपये का बकाया
लॉजिक्स इंफ्रा डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड – सेक्टर 150 (एससी-01) में करीब 2964.23 करोड़ रुपये का बकाया
लोटस ग्रीन्स कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड (कंसोर्टियम) – सेक्टर 150 (एससी-02) में करीब 2969.87 करोड़ रुपये का बकाया
यह घोटाला और इसके साथ जुड़ी वित्तीय अनियमितताएं नोएडा प्राधिकरण और राज्य सरकार के लिए गंभीर चिंता का विषय बन गई हैं, और आगे की कार्रवाई की आवश्यकता है.