लखनऊ, 21 अगस्त। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने आज सोशल साइट एक्स पर कहा कि 69000 शिक्षक भर्ती कोर्ट से निरस्त होते ही बांदा जिले के कॉपरेटिव बैंक ने भर्ती हुए शिक्षकों से, बैंक से लिए गए किसी भी प्रकार के ऋण की वसूली का फरमान जारी कराकर और आगे भी किसी भी प्रकार के लोन का रास्ता बंद करने की साजिश रची परंतु युवाओं के आक्रोश के आगे ये फरमान एक दिन भी टिक नहीं पाया और भाजपा सरकार को इसे भी रद्द करने का आदेश निकालना पड़ गया लेकिन याद रहे उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार ये काम मन से नहीं दबाव से कर रही है, इसीलिए इस आदेश को पूरी तरह रद्द नहीं बल्कि कुछ समय के लिए स्थगित मानकर इसका भरपूर विरोध जारी रखना चाहिए। वैसे तात्कालिक रूप से ये युवा विरोधी भाजपा के विरूद्ध युवा-शक्ति की एकता की जीत है।
जिन भर्ती हुए शिक्षकों ने अपने घर-परिवार और बाकी सामान के लिए नौकरी की निरंतरता की उम्मीद पर कुछ लोन लिया था तो क्या अब ये सरकार उनके घरों और सामानों को कब्जे में लेने की साजिश कर रही है। ये निहायत शर्मनाक कृत्य है कि भाजपा परिवारों को दुख-दर्द देकर सत्ता की धौंस दिखाना चाहती है। शिक्षक भर्ती में उप्र की भाजपा सरकार की बदनीयत की जिस तरह फजीहत हुई है, शायद उसका बदला वो अभ्यर्थियों से लेना चाहती थी। तभी ऐसे फरमान निकलवा रही है।
इससे पहले से ही नौकरी खोने के डर से डरे हुए शिक्षकों पर अत्यधिक मानसिक दबाव बढ़ेगा। जब इन लोन की वसूली के लिए बैंक उनके घरों पर जाएगा तो उनकी सामाजिक प्रतिष्ठा को भी ठेस पहुंचेगी। इसके दूरगामी नकारात्मक परिणाम निकलेंगे क्योंकि आर्थिक-सामाजिक-मानसिक रूप से प्रभावित शिक्षक का असर शिक्षण पर भी पड़ेगा, जिससे प्रदेश के बच्चों की शिक्षा और उनका भविष्य भी प्रभावित होगा।