पीलीभीत 17 जून। नेपाल सीमा से सटे उत्तर प्रदेश के पीलीभीत जिले में धर्म परिवर्तन कर चुके 61 सिख परिवारों ने सोमवार को सिख धर्म में ‘घर वापसी’ की। इन परिवारों के कुल 305 सदस्यों ने सार्वजनिक रूप से स्वीकार किया कि उन्होंने गलती की थी और दोबारा अपने मूल धर्म में लौटने का निर्णय लिया है।
इस अवसर पर आयोजित सिख समागम में सिख संगठनों और गुरुद्वारा प्रबंध कमेटियों ने स्पष्ट ऐलान किया कि भविष्य में यदि कोई व्यक्ति मतांतरण करता है तो उसका सामाजिक बहिष्कार किया जाएगा।
राघवपुरी गुरुद्वारे में आयोजित समागम में स्पष्ट किया गया कि जो सिख परिवार ईसाई धर्म अपना चुके हैं, उन्हें न तो गुरुद्वारा में प्रवेश मिलेगा, न ही उनके परिजनों के अंतिम संस्कार सिख रीति से किए जाएंगे।
इसके साथ ही चेतावनी दी गई कि जो मतांतरित व्यक्ति अब भी “सिंह” या “कौर” उपनाम का प्रयोग करते हैं, उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई हो सकती है।
ध्यान रहे, पीलीभीत जिले के राघवपुरी, टाटरगंज, कंबोजनगर, और टिल्ला नंबर चार जैसे गांवों में पिछले कुछ वर्षों में सैकड़ों सिख परिवारों का कथित तौर पर ईसाई मिशनरियों के प्रभाव में आकर धर्मांतरण कराया गया था।
पिछले महीने, टाटरगंज की एक महिला ने पादरी अर्जुन सिंह, सतनाम सिंह समेत 6 नामजद और 50 अज्ञात लोगों पर जबरन धर्म परिवर्तन कराने का आरोप लगाते हुए एफआईआर दर्ज कराई थी। महिला का आरोप था कि उसे ₹50,000 का लालच देकर पति का मतांतरण कराया गया, मगर पैसे भी नहीं मिले।
इसी तरह 9 जून को संत कौर नाम की महिला ने पादरी हरजीत सिंह और अन्य 6 लोगों के खिलाफ केस दर्ज कराया कि उन्हें बीमारी दूर करने के बहाने ईसाई बनाया गया। जनवरी से अप्रैल 2025 के बीच भी धर्मांतरण को लेकर कई एफआईआर हो चुकी हैं।
भारतीय सिख संगठन (BSS) के संस्थापक अध्यक्ष जसवीर सिंह विर्क ने कहा: “हमने 305 लोगों को समझाया कि कैसे वे गलत प्रचार और प्रलोभनों का शिकार हुए। उनके वापस लौटने से समाज को एक मजबूत संदेश मिला है।”
विर्क ने बताया कि अब भी 30 परिवार संपर्क में हैं, और उनकी घर वापसी के लिए 22 जून से विशेष जागरूकता अभियान चलाया जाएगा।