गाजियाबाद 30 मई। पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश और बिहार से 57 नाबालिग बच्चों को लाकर डासना में इंटरनेशनल एग्रो फूड्स मीट फैक्ट्री में जबरन काम लिया जा रहा था। राष्ट्रीय बाल संरक्षण अधिकार आयोग को इस संबंध में शिकायत मिली।
जिसकी सूचना पर राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग की टीम के साथ जिला प्रशासन, पुलिस , श्रम विभाग, एएचटीयू, चाइल्ड लाइन, मुक्ति फाउंडेशन की संयुक्त टीम ने मिलकर नाबालिग बच्चों को मीट फैक्ट्री से मुक्त कराया है। मीट फैक्ट्री संचालक के खिलाफ केस दर्ज करने आगे की कार्रवाई भी जल्द की जाएगी।
एडीसीपी क्राइम सच्चिदानंद ने बताया कि मुक्त कराए गए नाबालिगों में 31 लड़कियां और 26 लड़के हैं। पुलिस ने रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान जब मौके पर जाकर जांच की तो सभी नाबालिगों से अमानवीय तरीके से मीट फैक्ट्री में काम लिया जा रहा था। जांच में पता चला कि इनमें कई नाबालिग ऐसे हैं, जो कि चार से पांच साल से काम कर रहे थे। इसमें 14 वर्ष से लेकर 17 वर्ष तक के किशोर-किशोरी शामिल हैं।
एडीसीपी सचिदानंद ने बताया कि किशोर- किशोरियों का मेडिकल परीक्षण कराया गया है सभी को शेल्टर होम में रखा गया है। श्रम विभाग की तहरीर पर फैक्टरी के चार निदेशकों हापुड़ के बुलंदशहर रोड निवासी यासीन कुरैशी, पत्नी तसलीम कुरैशी, बेटे जावेद कुरैशी और गुलशन कुरैशी के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है।
मीट फैक्ट्री में काम करने की एवज में प्रत्येक को 300 रुपये रोजाना मजदूरी दी जाती थी। मुक्त कराए गए बच्चों का चिकित्सकीय परीक्षण कराकर बाल कल्याण समिति के समक्ष पेश किया जाएगा। इसके बाद उनको वापस उनके घर भेजा जाएगा। उन्होंने बताया कि इंटरनेशनल एग्रो फूडस मीट फैक्ट्री में मीट प्रोसेसिंग, फीजिंग का काम होता था, यहां से मीट विदेश में एक्सपोर्ट किया जाता है।
बताते चले कि एग्रो फूड कंपनी में मीट प्रोसेसिंग और फ्रीजिंग का काम होता है। यहां से विदेशों में भी मांस की सप्लाई होती है। इससे पहले 31 जुलाई 2023 को इस कंपनी पर आयकर विभाग का भी छापा पड़ा था।