asd अवैध तरीके से 500 लोगों की किडनी बदली, डाक्टर समेत सात गिरफ्तार

अवैध तरीके से 500 लोगों की किडनी बदली, डाक्टर समेत सात गिरफ्तार

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नई दिल्ली 10 जुलाई। दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने ऑर्गन ट्रांसप्लांट रैकेट का भंडाफोड़ किया है. पुलिस ने इस मामले में एक डॉक्टर समेत करीब 7 लोगों को गिरफ्तार किया है. यह गिरोह चार साल में करीब 500 लोगों की किडनी प्रत्यारोपित कर चुका है। किडनी दाता व प्राप्तकर्ता दोनों बांग्लादेशी होते थे। जानकारी के मुताबिक इस रैकेट में शामिल लोगों के तार बांग्लादेश से जुड़े हुए बताए जा रहे हैं. ऑर्गन ट्रांसप्लांट रैकेट हर ट्रांसप्लांट के लिए 20-30 लाख रुपये लेता था. ऑर्गन ट्रांसप्लांट रैकेट के डोनर और रिसीवर दोनों ही बांग्लादेश से थे. इस रैकेट को साल 2019 से ही जलाया जा रहा था.

डोनर और रिसीवर को लाकर दिल्ली के जसोला में रखा जाता था. बांग्लादेश हाई कमीशन के कई फर्जी दस्तावेज बरामद हुए हैं. ऑर्गन ट्रांसप्लांट रैकेट एक किडनी डोनर से 4-5 लाख में लेते थे और रिसीवर को 20 से 30 लाख में बेचते थे. वहीं डॉक्टर हर सर्जरी का 2 लाख रुपए ले रही थी. इस रैकेट से जुड़े डॉक्टर ने अधिकतर सर्जरी नोएडा के यथार्थ अस्पताल में की. डोनर और रिसीवर को दिल्ली के जसोला के एक फ्लैट में रखा जाता था.

पुलिस ने जिन आरोपियों को गिरफ्तार किया है, उसमें मिडिलमैन भी शामिल है. जिस अस्पताल में ये सर्जरी हो रही थी, वो नोएडा का बड़ा अस्पताल है. इस गिरोक के पर्दाफाश के बाद अस्पताल और डॉक्टर पर सवाल खड़े रहे हैं. लोगों के लिए डॉक्टर किसी भगवान से कम नहीं है. लेकिन जब भी कोई ऐसी खबरें सुनता है तो उसका भरोसा डॉक्टर से उठ जाता है. देशभर में अक्सर ऐसे मामले सामने आते रहते हैं, जब डॉक्टर पैसे के लिए ईमान बेच बैठते हैं.

रसेल- मूलरूप से बांग्लादेश निवासी रसेल 2019 में भारत आया और एक बांग्लादेशी मरीज को अपनी किडनी दान की थी। किडनी देने के बाद उसने यह रैकेट शुरू किया। वह इस रैकेट का किंगपिन है और विभिन्न हितधारकों के बीच समन्वय करता है। उसने बांग्लादेश के संभावित किडनी दाताओं और किडनी प्राप्तकर्ताओं के बीच संपर्क स्थापित किया। वह बांग्लादेश में रहने वाले इफ्ति नामक व्यक्ति से डोनर मंगवाता था। प्रत्यारोपण पूरा होने पर उसे आमतौर पर इस कंपनी से 20-25फीसदी तक कमीशन मिलता है।

मोहम्मद सुमन मियां- मूलरूप से बांग्लादेश निवासी आरोपी मोहम्मद सुमन, आरोपी रसेल का साला है और वर्ष 2024 में भारत आया था। तब से वह रसेल के साथ उसकी अवैध गतिविधि में शामिल है। वह किडनी रोगियों की पैथोलॉजिकल जांच का काम देखता है। रसेल उसे प्रत्येक मरीज/दाता के लिए 20,000 का भुगतान करता था।

मोहम्मद रोकोन उर्फ राहुल सरकार उर्फ बिजय मंडल- बांग्लादेश निवासी मोहम्मद रसेल के निर्देश पर किडनी दानकर्ताओं और किडनी प्राप्तकर्ताओं के फर्जी दस्तावेज तैयार करता था। रसेल उसे प्रत्येक मरीज/दाता के लिए 30,000 का भुगतान करता था। उसने 2019 में एक बांग्लादेशी नागरिक को अपनी किडनी भी दान की थी।

रतेश पाल – त्रिपुरा निवासी रतेश को रसेल उसे प्रत्येक मरीज/दाता के लिए 20,000 का भुगतान करता था।

शरीक- वह बीएससी मेडिकल लैब टेक्नीशियन तक पढ़ा है और यूपी का रहने वाला है। वह मरीजों और दाताओं की प्रत्यारोपण फाइलों की प्रोसेसिंग के संबंध में निजी सहायक विक्रम और डॉ. विजया राजकुमारी के साथ समन्वय करता था।

विक्रम- उत्तराखंड का रहने वाला का रहने वाला विक्रम वर्तमान में वह फरीदाबाद, हरियाणा में रहता है। आरोपी डॉ. डी. विजया राजकुमारी का सहायक है।

डॉ. विजया राजकुमारी किडनी सर्जन और दो अस्पतालों में विजिटिंग कंसल्टेंट हैं। फिलहाल उसे अपोलो अस्पताल से निलंबित किया हुआ है। तीन आरोपी मरीज हैं। इस कारण उन्हें गिरफ्तार करने की बजाय बाउन-डाउन किया गया है।

बरामद सामान-
अलग-अलग प्रमुखों यानी डॉक्टर, नोटरी पब्लिक, एडवोकेट आदि की 23 मोहरें, किडनी मरीजों और दाताओं की 06 जाली फाइलें, अस्पतालों के जाली दस्तावेज, जाली आधार कार्ड,जाली स्टिकर,खाली स्टाम्प पेपर, पेन ड्राइव, हार्ड डिस्क, 2 लैपटॉप जिसमें आपत्तिजनक डेटा है, 8 मोबाइल फोन और 1800 यू.एस डॉलर बरामद किए गए हैं।

किडनी रैकेट में फंसी डाॅ. डी विजया कुमारी सीनियर कंसल्टेंट और किडनी ट्रांसप्लांट सर्जन हैं। पुलिस अधिकारियों के अनुसार उन्होंने 15 साल पहले जूनियर डॉक्टर के तौर पर इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल जॉइन किया था। वह अस्पताल में फी-फॉर-सर्विस करती थीं। पुलिस ने डॉ विजया के असिस्टेंट विक्रम को भी गिरफ्तार किया है।

दूसरी तरफ नोएडा के यथार्थ अस्पताल के एडिशनल सुपरिटेंडेंट, सुनील बालियान ने बताया कि डॉ विजया उनके अस्पताल में विजिटिंग कंसल्टेंट के रूप में काम कर रही थीं। वह सिर्फ उन्हीं मरीजों का किडनी ट्रांसप्लांट करती थीं, जिन्हें वह खुद लेकर आती थी। अस्पताल की तरफ से उन्हें कोई मरीज नहीं दिया जाता था। डॉ विजया ने पिछले तीन महीनों में एक सर्जरी की थी।

पुलिस अधिकारियों के अनुसार रसेल ने दिल्ली के जसोला गांव में एक फ्लैट किराए पर लिया था। इसमें पांच से छह डोनर रहते थे। प्रत्यारोपण से पहले की सभी जांचें पूरी कर ली जाती थीं। फ्लैट पर किडनी विक्रेता और प्राप्तकर्ता की मुलाकात भी कराई जाती थी।

पासपोर्ट, डायरी व रजिस्टर जब्त
रसेल के कमरे से बरामद बैग में नौ पासपोर्ट, दो डायरी व एक रजिस्टर मिला है। यह पासपोर्ट किडनी विक्रेता और प्राप्तकर्ता के हैं। डायरी में पैसों के लेनदेन की जानकारी भी थी। पुलिस ने मोहम्मद रोकोन के पास से भी एक बैग जब्त किया है। इसमें 20 स्टांप और दो स्टांप इंक पैड (नीले और लाल) थे। इनका इस्तेमाल कथित तौर पर नकली कागजात बनाने के लिए किया जाता था।

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