आज देश के प्रमुख हिंदी समाचार पत्रों में से एक दैनिक अमर उजाला के मेरठ संस्करण को 38 साल प्रकाशित होते हुए पूरे हो गए। वैसे तो सभी पत्रकार और संपादकों व समाचार पत्रों की अपनी नीतियां होती हैं। हर कोई अपनी प्रसिद्धि पाठक संख्या बढ़ाने तथा नंबर वन कहलाने की कोशिश करता है। लेकिन यह विश्वास से कहा जा सकता है कि स्व. श्री अतुल माहेश्वरी वाकई में ऐसी मानवीय संवेदना और सबका अच्छा सोचने व समाज की कुरीतियों को दूर करने वाले समाचारो को प्रमुखता देने वाले संपादक और पत्रकार थे।
अभी कल की सी बात है जब शहर में अमर उजाला का प्रकाशन शुरू करने अतुल माहेश्वरी मेरठ आए और कुछ बुद्धिजीवियों तथा समाचार पत्र संचालकों से संपर्क साधा। इसी कड़ी में एक दिन मुझसे भी मुलाकात हुई। मैं उस समय साप्ताहिक पत्र औघड़नाथ का संपादन पांच साल कर चुका था। मिलते ही हाल चाल पूछने के बाद अतुल माहेश्वरी बोले कि हम मेरठ से समाचार पत्र प्रकाशित कर रहे हैं और अमर उजाला प्रातकालीन है। आप लोगों का सहयोग चाहिए। इसी कड़ी में उनके द्वारा गोवा के स्वतंत्रता संग्राम से संबंध तत्कालीन प्रमुख समाचार पत्रों में से एक दैनिक प्रभात के संपादक विनोद कुमार और सुबोध कुमार विनोद से भी मुलाकात की और उनका सहयोग लेने का तरीका अच्छा था। होली पर दैनिक प्रभात परिवार ने बुढ़ाना गेट स्थित अपने निवास स्थान पर होली मिलन कार्यक्रम रखा जिसमें डीएम टी जॉर्ज जोसएफ और एडीएम सिटी सतीश कुमार के साथ वर्तमान में वरिष्ठ पत्रकार और दैनिक हिंदूस्तान के संपादक रह चुके पुष्पेंद्र शर्मा और मैं भी मौजूद था। इसमें अतुल माहेश्वरी भी शामिल रहे। ऐसे ही सुलझे विचारों के मेरठ अमर उजाला के संपादक अतुल माहेश्वरी ने सबसे पहले अपने एक लेख में कहा था कि आखिर समाचार पत्र का मालिक संपादकीय क्यों नहीं लिख सकता। मुददा महत्वपूर्ण था लेकिन उसके बाद समाचार पत्र संचालकों ने संपादकीय लिखना शुरू किया और सिद्ध किया कि वो इस मामले में किसी से कम नहीं है।
सफलता से समाचार पत्र का संचालन करने के साथ अतुल माहेश्वरी सबको सपोर्ट करने में भी अग्रणीय रहे। एक घटना याद आती है। दिल्ली रोड पर होटल मुकुट महल में समाचार पत्रों के संगठन आईएनएस की बैठक हुई जिसमें विज्ञापन एजेंसी संचालकों द्वारा लघु भाषाई समाचार पत्रों के उत्पीड़न का मुददे मेरे द्वारा उठाया गया और अतुल माहेश्वरी ने उसका समर्थन किया। बैठक में आने के लिए मुझे निमंत्रण भेजा। आज समाचार पत्र पढ़कर पता चला कि प्रकाशन को 38 साल हो गए तो याद आया कि 43 वर्ष मुझे भी संपादक बने हो गए है। आज भी अमर उजाला खबरों के प्रकाशन और विश्वसनीयता के मामले में सक्षम सिद्ध हुआ है।
बताते चले कि प्रकाशन की लाइन में मेरा उदय अमर उजाला के संचालक डोरीलाल अग्रवाल के निधन के बाद उनकी जीवनी पढ़कर हुआ। मैं लखनऊ से लौट रहा था। हापुड़ स्टेशन पर अमर उजाला अखबार में उनका इतिहास पढ़ा। उससे लगा कि वो दैनिक समाचार पत्र का प्रकाशन कर सकत हैं तो मैं क्यों नही। लगभग दो माह बाद उधमसिंहनगर के काशीपुर से दैनिक केसर खुशबू टाइम्स का प्रकाशन शुरू किया और 1987 से वेस्ट एंड रोड मेरठ से दैनिक केसर खुशबू टाइम्स का प्रकाशन किया। जो आज भी डिजिटल व प्रिंट मीडिया के रूप में चल रहा है और लोग पढ़ते है। इसलिए यह कह सकते हैं कि अमर उजाला परिवार के लोग प्रिंट मीडिया में कई क्रांतियां करने में सफल रहे है। संबंधों को महत्ता देने में अतुल माहेश्वरी इतना अग्रणी थी यह मैने कई बार इंडस वैली ग्रुप के चेयरमैन अजय गुप्ता और स्वतंत्र पत्रकार डॉ. संजय गुप्ता से उनकी निकटता के चलते देखा।
(प्रस्तुतिः संपादक रवि कुमार बिश्नोई दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)
अमर उजाला प्रकाशन के 38 साल, कल की सी बात है अतुल माहेश्वरी बोले हम अमर उजाला का प्रकाशन करने जा रहे हैं सहयोग चाहिए
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