खबरों के अनुसार गर्मी का पारा सौ साल की सीमा को पार कर गया जैसे समाचार पढ़ने सुनने को मिल रही है। इससे राहत दिलाने के लिए सरकार प्रदेश में करोड़ों पौधे लगवाकर हर साल हरियाली का क्षेत्र बढ़ाने हेतु वृक्षारोपण अभियान चलाती है। उसके बावजूद यह खबर पढ़ने को मिलना कि मेरठ समेत वेस्ट यूपी के लखीमपुर सीतापुर हरदोई में घट गया है वन क्षेत्र। सवाल यह उठता है कि धरती तो पहले जितनी थी आज भी उतनी है। लेकिन कुछ दशक पहले इतने बड़े स्तर पर वृक्षारोपण सरकार शायद नहीं कराती थी उसके बावजूद कहीं भी हरियाली और ताजी हवा का अभाव नजर नहीं आता था ऐसा बड़े बुजुर्गो का कहना है। वर्तमान में कॉम्पलैक्स बहुमंजिले रिहायशी भवन बढ़ रहे है। फलों की कटाई प्रतिबंधित है तो फिर आखिर कैसे घट रहा है वन क्षेत्र यह विषय सरकार और जनप्रतिनिधियों के लिए सोचने का है। क्योंकि जिस हिसाब से वृक्षारोपण होता है उसके अनुसार तो अब यूपी में पौधारोपण के लिए स्थान ही नहीं होना चाहिए था लेकिन यहां वन क्षेत्र घट रहा है और हरियाली कम हो रहा है। गर्मी सर्दी बरसात का जो प्रकोप बढ़ता जा रहा है वो नहीं बढ़ता।
बताते हैं कि बिजनौर में राष्ट्रीय राजमार्ग 119 पर बहसूमा से बिजनौर तक रूके निर्माण कार्यों को पूरा कराने के लिए 9600 पेड़ काटे जाने की चर्चा है। अगर इसे सही मान लिया जाए तो प्रदेशभर में विकास कार्यों को गति देने के लिए लाख दो लाख पेड़ कट जाते होंगे लेकिन लगाए तो करोड़ों जा रहे हैं तो फिर वन क्षेत्र कम कैसे हो रहा है इस ओर जिम्मेदारों को गंभीरता से ध्यान देना होगा। एक जानकारी अनुसार शासन की ओर से अबकी बार जिले को 30 लाख पौधे रोपने का लक्ष्य रखा गया बताते है तो मंडल में 95 लाख पौधे लगाए जाने की बात पढ़ने सुनने को मिल रही है जिसके हिसाब से मेरठ मंडल में हरियाली बढ़ाने के लिए इस बार 95 लाख पौधों का लक्ष्य तय किया गया है। हर विभाग की जिम्मेदारी तय की गई है कि किसे कितने पौधे लगाने हैं। सबसे ज्यादा ग्राम्य विकास विभाग 50 लाख पौधे लगाएगा। सबसे कम पौधे लगाने की जिम्मेदारी आवास विकास को सौंपी गई है। आवास विकास को मंडल के छह जिलों में 39 हजार पौधे लगाने होंगे। इसके लिए लखनऊ से विस्तृत दिशा निर्देश जारी किए गए हैं। मेरठ जिले में साढ़े 24 लाख पौधे लगाए जाएंगे।
मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्रा की ओर से सभी मंडलायुक्तों और जिलाधिकारियों को पत्र भेजा गया बताया जाता है। पत्र में कहा गया है कि इस बार पूरे प्रदेश में 35 करोड़ पौधे लगाने का लक्ष्य तय किया गया है। मेरठ मंडल में 94 लाख 74 हजार 200 पौधों का लक्ष्य रखा गया है। इसमें सबसे अधिक बुलंदशहर में 32 लाख 92 हजार पौधे लगाएं जाएंगे। मेरठ जिले में 24 लाख 51 हजार पौधे लगाने का लक्ष्य है। बागपत में 11 लाख 78 हजार, हापुड़ में 9 लाख 80 हजार, गौतमबुद्धनगर में 7 लाख 88 हजार 100 पौधे लगाने का लक्ष्य तय किया गया है।
वन एवं वन्य जीव विभाग को 11 लाख 64 हजार 200, कृषि विभाग को 9 लाख 99 हजार, पंचायती राज विभाग को 5 लाख 6 हजार पौधे लगाने का लक्ष्य दिया गया है। रेशम विभाग 52 हजार, पशुपालन विभाग 58 हजार, जल शक्ति विभाग एक लाख चार हजार, लोक निर्माण विभाग एक लाख एक हजार, पर्यावरण विभाग चार लाख चार हजार, राजस्व विभाग चार लाख 18 हजार, आवास विकास विभाग 39 हजार, औद्योगिक विकास विभाग 61 हजार पौधे लगाएगा।
जुलाई के पहले सप्ताह में मनाया जाएगा वन महोत्सव
मुख्य सचिव की ओर से बताया गया है कि एक जुलाई से 7 जुलाई तक वन महोत्सव मनाया जाएगा। उन्होंने जिलेवार, विभागवार, ग्राम पंचायायतवार, शहरी निकायवार कार्य योजना तैयार कर शत प्रतिशत लक्ष्य की पूर्ति के निर्देश दिए गए हैं। पौधरोपण की फोटोग्राफी भी कराई जाएगी और उसकी जियो टैगिंग की जाएगी। दो महीने बाद दोबारा फोटोग्राफी कराई जाएगी और यह पता किया जाएगा कि कितने पौधे जीवित बचे।
एक मार्ग पर लगेंगे एक प्रजाति के पौधे
पत्र में कहा गया है कि शहरी क्षेत्रों में थीम बेस्ड अवेन्यू प्लांटेशन किया जाए। एक मार्ग एक प्रजाति के तहत पौधरोपण किया जाए। इसमें फलदार, छायादार एवं शोभाकारी प्रजाति के पेड़ लगाए जाएं। फलदार पेड़ों में आम, आंवला, बहेड़ा, बेज, बेर, जामुन, कटहल, लसोड़ा, शोभाकारी पेड़ों में केशिया, सियामिया, सेमल, जरूल, अमलतास, कचनार, गुलमोहर, एल्सटोनिया, कदंब जैसे पेड़ आते हैं।
अभी पांच जून को हम विश्व पर्यावरण दिवस मनाने जा रहे हैं। जो इस बात का प्रतीक है कि इस दिन सरकार के इस अभियान में शामिल होकर सरकारी विभाग स्कूल समाजसेवी संगठन आदि से जुड़े लोग प्रदेशभर में कई करोड़़ पौधे लगाएंगे। पर्यावरण की वर्तमान स्थिति को ध्यान में रखते हुए सरकारी प्रयास सराहनीय है लेकिन पेड पौधों का उत्पादन और खरीद पर आम आदमी के टैक्स का पैसा खर्च होता है इसलिए उसे इस बारे में यह जानने का भी अधिकार है कि पिछले वर्ष कितने पौधे रौपे गए और उनकी स्थिति क्या है। तथा प्रदेश में कितना क्षेत्र ऐसा है जिन पर पेड़़ लगाए जा सकते हैं और पिछले दो दशक में कितने पेड़ लगाए गए और वन क्षेत्र और हरियाली में कमी कैसे आ रही है। अगर कहीं गडबड हुई तो दोषियों पर क्या कार्रवाई की गई। क्योंकि इस ओर ध्यान नहीं दिया गया तो जगह पुरानी ही है हर साल वृक्ष लगाने की संख्या बढ़ती जाएगी और छाया कम होती जाएगी। इसका जो आर्थिक मुददा है इसका पैसा किसके पेट में जा रहा है यह पता चलना नागरिकों को अत्यंत जरूरी है। जनहित में मुख्यमंत्री जी वृक्षारोपण को तो बढ़ावा दें लेकिन वृक्षों की सुरक्षा और उनके रखरखाव और गिनती पर पूरा ध्यान दिया जाना चाहिए। क्योंकि ऐसे ही घालमेल चलता रहा जैसी खबरें पढ़ने को मिलती है तो हमें गर्मी सर्दी बरसात का प्रकोप ज्यादा झेलना पड़ेगा और इसके नुकसान भी भुगतने के लिए मजबूर होना पड़ेगा।
यह एक अच्छी खबर है कि लोकसभा चुनाव के बाद गंगा और सहायक नदियों के किनारे वृक्षारोपण अभियान शुरू होगा। मेरा मानना है कि गांव देहातों को जाने वाले मार्गों के साथ ही मुख्य मार्गो के किनारे व शहरों में पौधे लगाए जाएं तो वो ज्यादा लाभकारी होंगे और देखभाल की जिम्मेदारी आसपास के लोगों को दी जा सकती है।
(प्रस्तुतिः संपादक रवि कुमार बिश्नोई दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)
प्रदेश में 35 करोड़ पौधे लगेंगे इस वर्ष! आखिर हर साल रोपे गए पौधे जा कहां रहे हैं?
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