लखनऊ 04 नवंबर। उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने 50 से कम छात्रों वाले बदहाल हजारों बेसिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों को बंद कर दूसरे स्कूलों में विलय करने का फैसला लिया है. ऐसे स्कूलों की संख्या करीब 27 हजार बताई जा रही है. सरकार का तर्क है कि इससे शिक्षा व्यवस्था में सुधार होगा. हालांकि यूपी सरकार के इस फैसले पर बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष व उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने नाराजगी जाहिर की है. उत्तर प्रदेश सरकार की तरह ही उड़ीसा सरकार के फैसले पर भी मायावती ने आपत्ति जताई है. बीएसपी सुप्रीमो का कहना है कि इससे गरीब बच्चों को शिक्षा कैसे मिलेगी? सरकार को ऐसे स्कूलों की हालत में सुधार करना चाहिए, न कि इन्हें बंद करके दूसरे स्कूलों में विलय कर देना चाहिए.
बताते चले कि सूबे की योगी सरकार की तमाम कोशिशों के बाद भी यदि सरकारी स्कूलों में बच्चों की संख्या नहीं बढ़ सकी तो इन स्कूलों के टीचरों के लिए भी मुसीबत बढ़ सकती हैं। जो स्थायी हैं उनको अन्य स्कूलों में मर्ज करने के नाम पर दूरदराज पढ़ाने के लिए भेजा जा सकता है, जो कच्चे हैं उनकी नौकरी पर तलवार लटक जाएगी। वहीं, दूसरी ओर सरकारी स्कूलों के बच्चों की कमी की वजह से बंद होने के चलते सरकार की चिंता भी बढ़ गई है।
डीजी ने बैठक में दिए मर्जर की तैयारी के निर्देश। 50 से कम विद्यार्थियों वाले स्कूल किए गए चिन्हित। आसपास के स्कूलों में बच्चों का प्रवेश कराया जाएगा। डीजी स्कूल शिक्षा कंचन वर्मा ने बीएसए को दिए निर्देश। प्रदेश में परिषदीय विद्यालयों में बच्चों की कम होती संख्या को लेकर ऐसे विद्यालयों का पास के विद्यालयों में मर्ज कराने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। इसके तहत 50 से कम नामांकन वाले विद्यालयों को चिह्नित कर उनके पास के विद्यालय में भेजने को लेकर सभी जिलों में रिपोर्ट तैयार करने का निर्देश दिया गया है।
वहीं, जर्जर विद्यालयों को भी एक महीने में ध्वस्त कराने की प्रक्रिया पूरी करने को कहा गया है। हाल ही में प्रदेश के सभी मंडलीय सहायक शिक्षा निदेशक व शसिक शिक्षा अधिकारियों की बैठक। जिसमें महानिदेशक स्कूल शिक्षा कंचन वर्मा ने कहा है कि ऐसे सभी विद्यालयों के बारे में जिले की एक संयुक्त बुकलेट तैयार की जाए। ताकि 13 या 14 नवंबर को बीएसए की प्रस्तावित बैठक में इस पर चर्चा की जा सके। उन्होंने यह भी निर्देश दिया है कि अभियान चलाकर जर्जर विद्यालयों के भवनों का ध्वस्तीकरण एक महीने में किया जाए। यदि विद्यालय का भवन जर्जर है, लेकिन पढ़ाई के लिए पर्याप्त संख्या में क्लास हैं तो फिर भवन पुर्ननिर्माण के लिए प्रस्ताव नहीं भेजा जाएगा।
बसपा की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट किया है कि उत्तर प्रदेश सरकार का 50 से कम छात्रों वाले बदहाल 27,764 परिषदीय प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों में जरूरी सुधार करके उन्हें बेहतर बनाने के उपाय करने के बजाय उनको बंद करके उनका दूसरे स्कूलों में विलय करने का फैसला उचित नहीं. ऐसे में गरीब बच्चे आखिर कहां और कैसे पढ़ेंगे? उत्तर प्रदेश व देश के अधिकतर राज्यों में खासकर प्राइमरी व सेकण्डरी शिक्षा का बहुत ही बुरा हाल है जिस कारण गरीब परिवार के करोड़ों बच्चे अच्छी शिक्षा तो दूर सही शिक्षा से भी लगातार वंचित हैं. ओडिसा सरकार की तरफ से कम छात्रों वाले स्कूलों को बंद करने का भी फैसला अनुचित है. सरकारों की इसी प्रकार की गरीब व जनविरोधी नीतियों का परिणाम है कि लोग प्राइवेट स्कूलों में अपने बच्चों को पढ़ाने को मजबूर हो रहे हैं, जैसा कि सर्वे से स्पष्ट है. सरकार का शिक्षा पर समुचित धन व ध्यान देकर इनमें जरूरी सुधार करने के बजाय इनको बंद करना ठीक नहीं है.
दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने योगी सरकार के इस फैसले पर हैरत जताई है. उन्होंने सोशल मीडिया पर पोस्ट शेयर करते हुए दिल्ली के स्कूलों का हवाला दिया है. इसमें उन्होंने दावा किया कैसे आप पार्टी ने कड़ी मेहनत से इन स्कूलों को विश्वस्तरीय बनाया है और शिक्षा का इंतजाम किया है. वहीं, सीएम योगी पर निशाना साधते हुए लिखा है कि वहीं दूसरी तरफ यूपी में सरकारी स्कूल बंद करने की तैयारी चल रही है.