शहरों के सुनियोजित विकास और आम आदमी को सिर छिपाने के लिए आसानी से छत उपलब्ध हो सके इसके लिए यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ द्वारा जो एससी एसटी की जमीनों की खरीद फरोख्त और छोटी छोटी बातों पर इससे संबंध धाराओं में होने वाले मुकदमों से आम आदमी को छुटकारा मिलेगा। और ग्रामीण भाषा में अगर कहे तो भ्रष्टाचार व रिश्वतखोरी तथा नागरिकों का उत्पीड़न भी बंद होगा। भाईचारे की भावना मनमुटाव दूर होने से बढ़ेगी। ऐसे मुददों को लेकर जो पैसा खर्च होता था उससे भी नागरिकों को छुटकारा मिलेगा।
बताते चलें कि अभी तक एससी एसटी की जमीनें डीएम की मंजूरी के बिना नहीं ली जा सकती थी। ऐसे में कुछ रियल इस्टेट में लगे लोग और संबंधित विभाग के अफसर कभी एससी एसटी से संबंध व्यक्ति को गफलत में डाल या बातों के चक्रव्यूह में फंसाकर उनकी भूमि ले लेते थे और जहां तक जागरूक नागरिकों का कहना है कि बहुत मोटा लेन देन होता था जो अब कम हो सकता है। संबंधित खबर के अनुसार प्रदेश सरकार शहरों में लोगों की आवासीय जरूरतों को पूरा करने के लिए साढ़े 12 एकड़ में टाउनशिप बसाने की अनुमति देने जा रही है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के समक्ष मंगलवार को प्रस्तावित उत्तर प्रदेश टाउनशिप नीति-2023 का प्रस्तुतीकरण किया गया। टाउनशिप बसाने वालों को जमीन की रजिस्ट्री पर 50 फीसदी छूट दी जाएगी। इसके साथ ही नई कॉलोनियां बसाने को एससी व एसटी की जमीन लेने के लिए डीएम की पूर्व अनुमति की अनिवार्यता नहीं रहेगी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रस्तावित नीति पर सैद्धांतिक सहमति दे दी है।
प्रदेश में इंटीग्रेटेड नीति में 500 एकड़ और हाईटेक में 1500 एकड़ की अनिवार्यता थी। प्रस्तावित नीति में दो लाख से कम आबादी वाले शहरों में न्यूनतम 12.5 एकड़ जमीन और अन्य शहरों में 25 एकड़ जमीन पर कालोनियां बसाने की अनुमति दी जाएगी। कालोनियों के लिए 24 मीटर और अंदर 12 मीटर सड़क होगी। प्रमुख सचिव आवास नितिन रमेश गोकर्ण ने इसका प्रस्तुतीकरण किया। ग्राम समाज, सीलिंग या फिर अन्य विभागों की जमीन लेकर दूसरे स्थान पर छोड़ने की सुविधा मिलेगी। 50 एकड़ से अधिक क्षेत्रफल की परियोजनाएं कृषि भूमि और 50 एकड़ तक मास्टर प्लान में आवासीय भूउपयोग पर कालोनी का लाइसेंस मिलेगा। ग्राम समाज की भूमि 60 दिन में नियमित की जाएगी।
झुंझलाहट पैदा करने वाली हर कार्रवाई अपराध नहीं मद्रास हाईकोर्ट के निर्णय से मिली राहत
दूसरी ओर मद्रास हाईकोर्ट द्वारा दिए गए निर्णय के अनुसार झुझलाहट पैदा करने वाली हर कार्रवाई को एससी एसटी एक्ट के तहत अपराध नहीं माना जा सकता। खबर के अनुसार हाईकोर्ट ने हाल ही में यह टिप्पणी करते हुए एयर इंडिया के तीन वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ निचली अदालत के समक्ष शुरू की गई कार्यवाही को रद्द कर दिया। इन अधिकारियों पर अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति समुदाय से संबंधित अपने अधीनस्थों को कथित रूप से परेशान करने के लिए अधिनियम के तहत आरोप लगाए गए थे। न्यायमूर्ति आरएन मंजुला ने कहा कि एक अधीनस्थ कर्मचारी एस वेलराज ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया कि अधिकारी उसे धमकी भरे इशारे करते थे और व्यंग्यात्मक तरीके से मुस्कराते थे।
जहां तक मुझे लगता है इससे कुछ मुकदमों में कमी आएगी और दोनों ही पक्षों का जो विवाद में समय और पैसा खर्च होता था वो बचेगा। इसलिए कुल मिलाकर यूपी सरकार व मद्रास हाईकोर्ट का निर्णय पूरी तौर पर सही और समाजहित में प्रतीत होता है।
– रवि कुमार बिश्नोई
संस्थापक – ऑल इंडिया न्यूज पेपर्स एसोसिएशन आईना
राष्ट्रीय स्तर पर सक्रिय समाज सेवी संगठन आरकेबी फांउडेशन के संस्थापक
सम्पादक दैनिक केसर खुशबू टाईम्स
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