संसद के दूसरे चरण में राहुल से सत्ता पक्ष माफी की मांग और विपक्ष की अडाणी मामले को लेकर किए जा रहे हंगामे से दोनों के बीच वाकयुद्ध जो शुरू हुआ है वो थमने का नाम नहीं ले रहा है। केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी का कहना है कि राहुल संसद की बजाय देश से माफी मांगे तो कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे का कहना है कि लोकतंत्र कमजोर हो रहा है। माफी मांगने का सवाल ही नहीं है। इसको लेकर विपक्ष के लगभग डेढ़ दर्जन दलों के 200 सांसदों द्वारा बताते हैं कि 2000 सुरक्षाकर्मियों के घेरे में सड़क पर प्रदर्शन किया। तथा ईडी निदेशक को तीन पन्नों का ईमेल भेजकर भ्रष्टाचार से संबंध भ्रष्टाचार से संबंध मुददों पर कार्रवाई की मांग की। विपक्षी दलों के इस आंदोलन में तृणमूल कांग्रेस और एनसीपी शामिल नहीं हुई। भाजपाई संसद ठप कर रहे विपक्षी सदस्यों के निलंबन की मांग कर रहे हैं। हंगामा लोकसभा और राज्यसभा दोनों में ही जारी है। भाजपा का कहना है कि विदेशों में राहुल की टिप्पणी से देश का अपमान हुआ है। विपक्ष कर रहा है जेपीसी की मांग। विपक्ष का कहना है कि ईडी जिम्मेदारी से पीछे नहीं हट सकता। लोकसभा स्पीकर ओम बिरला का कहना है कि लोकतंत्र के मंदिर का अपमान अस्वीकार्य है। कुल मिलाकर दोनों अपनी अपनी बात पर अड़े हैं। कौन सही है कौन गलत यह तो जनता ही तय कर सकती है मगर फिलहाल मुझे लगता है कि विपक्ष जो मात्र अडाणी जैसे कुछ मुददों को लेकर उलझा हुआ है। उसे अपनी मांगे बढ़ानी चाहिए। और इसके साथ साथ आए दिन जो सरकारी दफतरों में विकास कार्यों के संदर्भ में जो बड़े भ्रष्टाचार की परतें खुल रही है उन पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए। क्योंकि लोक निर्माण विभाग की इंडो नेपाल परियोजना में सड़क का निर्माण किए बिना ही 19 करोड़ का भुगतान किए जाना जैसे मुददो महत्वपूर्ण है। जहां तक मुझे लगता है अगर विपक्षी नेता प्राधिकरणों के द्वारा कराए जा रहे विकास कार्यों बनाए जा रहे आवासों और स्थानीय निकायों में सफाई निर्माण आदि में हो रहे करोड़ों के घोटालों जिनका असर सीधे सीधे आम आदमी की आर्थिक स्थिति पर पड़ रहा है उससे संबंध मुददे उठाए जाए तो विपक्ष प्रभावी रूप से मतदाताओं को अपनी ओर आकर्षित कर सकता है। क्योंकि आए दिन पढ़ने को मिल रही खबरों से जो पता चलता है कि फला विभाग के अधिकारी ने इतना बड़ा घोटाला कर दिया या उसकी सरपरस्ती में हो गया। सरकारी कर्मचारी फर्जी तरीके से ले रहा था तनख्वाह। राशन की दुकानों के लिए कॉमन सर्विस सेंटर नहीं बन पाई योजना की असफलता टूटी सड़कें और दुष्कर्म आदि की बढ़ने वाली घटनाओं से त्रस्त व्यक्ति की आवास उठाई जाए तो हर किसी को उसका लाभ मिलेगा। और सही स्थिति ऐसे मामले में सरकार तक पहुंचने से दोषियों के खिलाफ शुरू हो सकती है कार्रवाई। और यही सत्ता हो या विपक्ष उसके लिए अच्छा है। क्योंकि आम मतदाता जो ऐसे प्रकरणों से जूझ रहा है उसे राहत मिलने की उम्मीद है। कहने ता मतलब सिर्फ इतना है कि सत्ता पक्ष अपना काम कर रहा है। विपक्ष भी अगर जनहित से जुड़े मुददे उठाए तो फायदे में रहेगा। साथ ही अडाणी जैसे बड़े बिंदु भी जोड़े रखे जा सकते हैं।
– रवि कुमार बिश्नोई
संस्थापक – ऑल इंडिया न्यूज पेपर्स एसोसिएशन आईना
राष्ट्रीय स्तर पर सक्रिय समाज सेवी संगठन आरकेबी फांउडेशन के संस्थापक
सम्पादक दैनिक केसर खुशबू टाईम्स
आॅनलाईन न्यूज चैनल ताजाखबर.काॅम, मेरठरिपोर्ट.काॅम