मुंबई. चुनाव आयोग ने एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले गुट को ‘असली शिवसेना’ के रूप में मान्यता दे दी है. इसे उद्धव ठाकरे गुट के लिए बड़े झटके के रूप में देखा जा रहा है. हालांकि, ठाकरे ने अब सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है. इसी बीच एक और अहम बात सामने आई है. चुनाव आयोग के फैसले के बाद शिवसेना की आधिकारिक वेबसाइट को डिलीट कर दिया गया है. साथ ही, शिवसेना के ऑफिशिलय ट्विटर हैंडल के नाम में भी बदलाव किया गया है.
17 फरवरी को चुनाव आयोग ने शिवसेना का नाम और चुनाव निशान एकनाथ शिंदे गुट को दे दिया है. इसके बाद से अब शिवसेना के हकदार एकनाथ शिंदे बन गए हैं. ऐसे में उद्धव ठाकरे गुट का फिलहाल आधिकारिक रूप से शिवसेना नाम और चुनाव निशान पर कोई हक नहीं है. इसी को ध्यान में रखते हुए ऑफिशियल ट्विटर हैंडल से का नाम अब ‘शिवसेना उद्धव बालासाहेब ठाकरे’ कर दिया गया है. नाम बदलने की वजह से हैंडल का ब्लू टिक भी चला गया है.
शिवसेना की आधिकारिक वेबसाइट भी अब काम नहीं कर रही है. हालांकि, इसके बावजूद उद्धव ठाकरे गुट के बायो में Shivsena.in का लिंक मौजूद है. इसे अभी तक नहीं हटाया गया है. लिंक को ओपन करने पर पता चलता है कि वेबसाइट को डिलीट कर दिया गया है. सोशल मीडिया पर हुए इस अपडेट को लेकर उद्धव ठाकरे गुट के किसी नेता आधिकारिक रूप से कुछ नहीं कहा है.
बता दें कि शिवसेना (उद्धव बालासाहब ठाकरे) के नेता संजय राउत ने रविवार को दावा किया कि शिवसेना पार्टी के नाम एवं निशान ‘तीर-धनुष’ को ‘‘खरीदने” के लिए अब तक ‘‘2000 करोड़ रुपए का सौदा” हुआ है। हालांकि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले धड़े के विधायक सदा सर्वांकर ने इस दावे का खंडन किया और सवाल किया, ‘‘क्या संजय राउत खजांची हैं।” राउत ने एक ट्वीट में दावा किया कि 2000 करोड़ रुपये का शुरुआती आंकड़ा है और यह बात शत-प्रतिशत सच्ची है।