कमिश्नर व डीएम दें ध्यान! पीएम की मोटा अनाज उपयोग की योजना की सफलता हेतु आटा चक्कियों पर लगे रेट लिस्ट

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आम आदमी के स्वास्थ्य को लेकर चिंतित और उन्हें नई नई बीमारियें से दूर रखने के लिए प्रयासरत देश के यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी द्वारा वर्ष 2023 को मोटा अनाज उपयोग वर्ष मनाने के प्रयास किए जा रहे हैं और इसकी सफलता के लिए देशभर के साथ ही सांसदों के लिए बनी संसद की कैंटीन में मोटे अनाज से बनी खाद्य सामग्री भी परोसी जा रही है। पिछले दिनों पीएम के प्रयासों से एक भोज में मोटे अनाज की खाद्य सामग्री परोसी गई थी। इस बजट में भी मोटे अनाजों को बढ़ावा देने के लिए श्री अन्न योजना शुरू की गई है जिसके जरिए देशभर में मोटे अनाजों की खपत को बढ़ावा दिया जाएगा। इसके अतिरिक्त देश में एक वैश्विक केंद्र बनाए जाने की चर्चा है। तथा हैदराबाद स्थित मोटा अनाज अनुसंधान केंद्र को अंतरराष्ट्रीय स्तर का किए जाने का भी प्रस्ताव किया गया बताते है। तथा किसानों की आमदनी और खेती को बढ़ावा देने के उददेश्य से एक करोड़ किसानों को सुविधा प्रदान किए जाने की बात है।
मोटा अनाज कुछ वर्ष पूर्व तक सिर्फ गरीब के पेट भरने और मेहनत मजदूरी करने हेतु ताकत का साधन था और सस्ता होने के चलते आसानी से उपलब्ध भी था लेकिन अब सरकार इसे महंगाई से बचाए रखने के लिए भरपूर कार्य कर रही है लेकिन लगता है कुछ जमाखोर और मोटा मुनाफा कमाने के इच्छुक बड़े ही नहीं छोटे व्यापारी और आटा चक्की के कुछ संचालक मोटा अनाज की बढ़ती लोकप्रियता को भुनाने के लिए सक्रिय हो गए हैं। इसके उदाहरण के रूप में यूपी के मेरठ के सदर सब्जी मंडी स्थित चक्की संचालक द्वारा बाजरा ज्वार रागी और चने का आटा बाजार की अन्य चक्कियों के मुकाबले दोगुनी कीमत पर बेचा जा रहा है। पिछले दिनों एक सज्जन ने इसकी चक्की से इस भाव में आटा खरीदा लेकिन दूसरे दिन इससे कुछ कदम आगे एक पुरानी चक्की पर जब उसने इन्ही आटों का भाव पूछा तो उसने बढ़िया और प्योर बाजरे और रागी का आटा उसकी आधी कीमत पर दिया जिससे यह पता चलता है कि पीएम की मोटा अनाज हर घर में उपयोग हो मंशा को इस प्रकार से मोटा मुनाफा कमाने वाले छोटे चक्की वाले भी महंगा सामान बेचकर बाधा पहुंचा रहे हैं। मेरा मानना है कि सरकार जिला पूर्ति अधिकारी आरएफसी और अन्य विभागों के माध्यम से सभी चक्की और दुकानों पर मोटे अनाज और उसके आटे की रेट लिस्ट अन्य सामग्रियों के साथ लगवाएं जिससे यह मुनाफाखोर आम आदमी का आर्थिक और मानसिक शोषण ना कर पाए। तभी मोटे अनाज का उपयोग व प्रचलन सही मायनों में बढ़ सकता है।
मोटे अनाज के आटे और उसके खाद्य सामग्री महंगी ना हो और आसानी से उपलब्ध हो और पीएम का अभियान सफल हो इसके लिए कमिश्नर और जिलाधिकारी ध्यान देकर कार्यवाही करें।

– रवि कुमार बिश्नोई

संस्थापक – ऑल इंडिया न्यूज पेपर्स एसोसिएशन आईना
राष्ट्रीय स्तर पर सक्रिय समाज सेवी संगठन आरकेबी फांउडेशन के संस्थापक
सम्पादक दैनिक केसर खुशबू टाईम्स
आॅनलाईन न्यूज चैनल ताजाखबर.काॅम, मेरठरिपोर्ट.काॅम

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