अगर खर्राटे कभी-कभी आते हैं तो बात सामान्य है, लेकिन अगर ऐसा रोज होता है और ध्वनि तेज है तो सावधान रहने की जरूरत है। ठंड में खर्राटों की समस्या अधिक हो जाती है, प्रदूषण हो तो समस्या और बढ़ जाती है। प्रदूषण के तत्व नाक, गले, श्वास नली और फेफड़ों तक रुकावट पैदा करते हैं। नली में सूजन आ जाती है तो शरीर में ऑक्सीजन का लेवल घटता है और खर्राटे आते हैं। इससे हार्ट (दिल) और ब्रेन (दिमाग) अटैक का खतरा बढ़ जाता है।
मेरठ जिला अस्पताल के सीनियर ईएनटी सर्जन डॉ. बीपी कौशिक ने बताया कि महिलाओं में खर्राटे की बीमारी पुरुषों से अलग लक्षण देती है। महिलाओं को सुबह उठने पर अगर सिरदर्द रहे तो समझना चाहिए कि उसे खर्राटे की बीमारी है। महिलाओं में अलग लक्षण की वजह जेनेटिक्स और हार्मोनल है। अक्सर महिलाएं सिर दर्द होने पर माइग्रेन का इलाज कराने लगती हैं। बच्चों में यह दिक्कत नाक में एडीनॉयड ग्रंथि या पॉलिप बढ़ने से हो सकती है। मेडिकल के ईएनटी डॉ कपिल कुमार ने बताया कि मौसम के संक्रमण काल में खर्राटे अधिक हो जाते हैं। मानसिक तनाव के अलावा ठंडक बढ़ने पर यह दिक्कत बढ़ती है और गर्मी में कम हो जाती है।
योग, व्यायाम और प्रोटीन युक्त खानपान जरूरी
मेडिकल के मेडिसिन विभाग के प्रभारी डॉ. अरविंद कुमार ने बताया कि योग, व्यायाम और प्रोटीन डाइट लेने से खर्राटों की दिक्कत को कम किया जा सकता है। खर्राटों का प्रभाव रक्तचाप पर पड़ता है। इससे दिल पर दबाव बढ़ जाता है। बहुत दिनों तक खर्राटों के आने से दिल को होता है।
ये लक्षण हैं तो हो जाएं सावधान
– खर्राटों की इतनी तेज आवाज जो दूसरों की नींद में खलल डाले।
– खर्राटों के बीच सांस घुटने की आवाज।
– झटके के साथ शरीर के अंगों का हिलना।
– बेचैनी के साथ करवट बदलना।
– खर्राटों का रुक-रुक कर आना।
– जागने के बाद सिर में भारीपन।
– मुंह में सूखापन होना।
– चिड़चिड़ापन और याददाश्त कमजोर होना