महलानाबीस को ओआरएस की खोज के लिए पदम पुरस्कार सम्मान

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रांची. भारत सरकार ने 106 पद्म पुरस्कारों की घोषणा की है. सूची में 6 पद्म विभूषण, 9 पद्म भूषण और 91 पद्म श्री शामिल हैं. 19 पुरस्कार विजेता महिलाएं हैं. समाजवादी पार्टी के संरक्षक और यूपी के पूर्व सीएम दिवंगत मुलायम सिंह यादव को पद्म विभूषण (मरणोपरांत) से नवाजा गया है. बालकृष्ण दोसी और पश्चिम बंगाल के पूर्व डॉ दिलीप महलानाबीस को भी पद्म विभूषण (मरणोपरांत) से नवाजा गया है. डॉ दिलीप महलानाबीस को ओआरएस की खोज के लिए ये सम्मान दिया गया है. इनके अलावा संगीतकार जाकिर हुसैन, एसएम कृष्णा, श्रीनिवास वरधान को भी पद्म विभूषण से नवाजा जायेगा. झारखंड के डॉ जनम सिंह सोय को शिक्षा और साहित्य के क्षेत्र में पद्म श्री सम्मान देने की घोषणा की गयी है.

डॉक्टर दिलीप महालनाबिस पश्चिम बंगाल के प्रसिद्ध चिकित्सक थे. उन्होंने ओरल रिहाइड्रेशन से हजारों लोगों की जान बचाई थी.ये वाकया साल 1971 का बात है. बांग्लादेश मुक्ति संग्राम चल रहा था. उस दौरान बड़ी संख्या में बांग्लादेशी नागरिक पश्चिम बंगाल आए थे. बनगांव में भी काफी बांग्लादेशी ठहरे थे. जहां अचानक हैजा का प्रकोप फैल गया. भारी तादाद में लोग हैजे से बेमौत मारे गये थे.

कैसे बनाया ORS ?
चार चम्मच नमक, तीन चम्मच सोडा और 20 चम्मच ग्लूकोज के घोल से उन्होंने एक ऐसा मिश्रण तैयार किया, जिसे ORS कहा गया. इसके सेवन से बीमार लोगों पर तत्काल प्रभाव पड़ा. मृत्यु दर अचानक गिर गई. और इसे चमत्कार माना गया. इस प्रकार डॉ. दिलीप महालनाबिस के प्रयास से करीब 5 करोड़ लोगों की जिंदगी बच सकी थी.

डॉक्टर महालनाबिस को साल 2006 में थाईलैंड के प्रतिष्ठित प्रिंस महिडोल अवॉर्ड से सम्मानित किया गया था. साल 2022 में अक्टूबर में डॉक्टर दिलीप महालनाबिस का निधन हो गया. तब उनकी उम्र 87 साल की थी.

वहीं प्रो सोय पिछले चार दशक से हो भाषा के संरक्षण और प्रचार-प्रसार में जुटे हैं. उन्होंने हो जनजाति की संस्कृति पर कई पुस्तकें लिखी हैं. प्रो सोय कोल्हान यूनिवर्सिटी से रिटायर करने के बाद हो भाषा को पीजी के औपचारिक पाठ्यक्रम में शामिल करने में लगे रहे. 72 वर्षीय प्रे सोय की पुस्तकों में आधुनिक हो शिष्ट काव्य समेत छह पुस्तकें हैं. प्रो सोय को पद्मश्री दिए जाने की घोषणा के साथ ही बधाइयों का तांता लग गया है. सीएम हेमंत सोरेन ने भी प्रसन्नता व्यक्त करते हुए बधाई व शुभकामनाएं दी हैं. प्रदेश के पूर्व सीएम बाबूलाल मरांडी ने कहा, भाषा के संरक्षण और संवर्द्धन में जुटे, हो जनजाति की संस्कृति व जीवनशैली पर कई पुस्तकें लिख चुके कोल्हान विश्वविद्यालय से सेवानिवृत प्रोफेसर डॉ. जानुम सिंह सोय पद्मश्री के लिए चयनित किए गए हैं. डॉ. सोय को यह सम्मान पूरे राज्यवासियों का सम्मान है।बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाएं.

इसी क्रम में राज्य के पूर्व सीएम रघुवर दास ने कहा, झारखंड फिर हुआ गौरवान्वित! झारखंड के जनजातीय भाषा के विद्वान डॉ जनुम सिंह सोय को “हो” भाषा के संरक्षण और प्रचार के लिए पद्मश्री से सम्मानित किया गया. आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी का माटी से जुड़े लोगों को सम्मान देने के लिए आभार.

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