क्रिकेट खिलाड़ी अर्चना की मां ने दूध बेच पाला

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नई दिल्‍ली. भारत की अंडर-19 महिला टीम टी20 वर्ल्‍ड कप के फाइनल में पहुंच चुकी है, जहां रविवार को उसका सामना इंग्‍लैंड से होगा. शेफाली वर्मा की अगुआई में टीम ने टूर्नामेंट में बेहतरीन प्रदर्शन किया है. कप्‍तान के अलावा ओपनर बैटर श्‍वेता सहरावत और बॉलर पार्श्‍वी चोपड़ा अपनी छाप छोड़ने में कामयाब रही हैं. इनका टीम इंडिया तक का सफर आसान नहीं रहा है. श्‍वेता और पार्श्‍वी के अलावा टीम में कई और खिलाड़ी हैं जो संघर्ष की भट्टी में तपकर सफलता की ओर कदम बढ़ा रही हैं.

भारतीय टीम में शामिल अर्चना यूपी के जिले उन्‍नाव के एक छोटे से गांव की रहने वाली हैं. 18 साल की यह खिलाड़ी दाएं हाथ की ऑफ स्पिनर है. 4 साल की उम्र में ही अर्चना के सिर से उनके पिता का साया उठ गया. मां ने गाय का दूध बेच और खेती कर पाला. मां के पास पढ़ाने तक पैसे नहीं थे, ऐसे में खेलने के बारे में सोचना भी गुनाह था. खर्च चलाने में दिक्‍कत बढ़ी तो अर्चना की मां ने उन्‍हें कस्‍तूरबा गांधी आवासीय स्‍कूल में भेज दिया, ताकि मुफ्त पढ़ाई के साथ अच्‍छा खाना भी मिल जाए. मजबूरी में लिए गए फैसले ने उम्‍मीदों का नया दरवाजा खोल दिया.
कस्‍तूरबा गांधी में अर्चना की प्रतिभा को सबसे पहले उनकी फिजिकल एजुकेशन टीचर पूनम ने पहचाना. रनिंग के दौरान उन्‍हें इस लड़की में कुछ खास नजर आया. इसके बाद उन्‍होंने पूनम को क्रिकेट खेलने के लिए प्रेरित किया. अर्चना 13 साल की उम्र में उन्‍नाव के रतई पुरवा गांव से क्रिकेट सीखने कानपुर आईं. वह सिर्फ बिस्किट खाकर और पानी पीकर ग्राउंड में उतर जाती थीं.
अर्चना की मां सावित्री के मुताबिक, कभी नहीं सोचा था कि ऐसे दिन भी आएंगे. लोग मुझे और गांव को बिटिया के नाम से जानेंगे.

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