पाकिस्तान के डिफॉल्टर होने का खतरा बढ़ा, CPEC प्रोजेक्ट भी हो रहा ठप

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पड़ोसी देश पाकिस्तान के बड़े आर्थिक संकट में फंसने की आशंका बढ़ गई है। राजनीतिक संकट और अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (IMF) से कर्ज के लिए बातचीत को लेकर अनिश्चितता से उसके ऋण अदायगी में डिफॉल्टर बनने का खतरा बहुत बढ़ गया है। उधर, बहुचर्चित सीपीईसी प्रोजेक्ट भी ठप होने की स्थिति में दिख रहा है।

पाकिस्तानी अखबार डॉन की रिपोर्ट के अनुसार देश के चूककर्ता डिफॉल्टर बनने की जोखिम बहुत बढ़ गई है। देश के डिफॉल्टर बनने की जोखिम को पांच साल के क्रेडिट-डिफॉल्ट स्वैप (CDS) से मापा जाता है। सीडीएस एक तरह का बीमा अनुबंध होता है, जो कि किसी निवेशक को देश के डिफॉल्टर बनने की दशा में आर्थिक सुरक्षा प्रदान करता है।

पाकिस्तान का सीडीएस बुधवार को बढ़कर 75.5 फीसदी पर पहुंच गया। यह पूर्व में 56.2 फीसदी था। आर्थिक रिसर्च करने वाली फर्म आरिफ हबीब लिमिटेड के मुताबिक सीडीएस में वृद्धि एक गंभीर स्थिति का इशारा कर रही है। सीडीएस बढ़ने के कारण पाकिस्तानसरकार के लिए बॉन्ड या वाणिज्यिक उधारी के माध्यम से बाजारों से विदेशी मुद्रा जुटाना बेहद मुश्किल हो जाएगा।

पाकिस्तान को 34 अरब डॉलर की जरूरत
पाकिस्तान को अपने विदेशी कर्ज दायित्वों को पूरा करने के लिए चालू वित्तीय वर्ष में 32 से 34 अरब डॉलर की जरूरत है। वित्त विशेषज्ञों के अनुसार पाकिस्तान को शेष वित्तीय वर्ष की अवधि के लिए करीब 23 अरब डॉलर चाहिए। इसके लिए पाकिस्तान आईएमएफ से कर्ज लेने के लगातार प्रयास कर रहा है।

पाकिस्तान ने आईएमएफ को अपना राजस्व घाटा 1500 अरब तक करने का वादा किया है, लेकिन लगता नहीं है कि वह ऐसा कर पाएगा। इस बीच, मुद्राकोष ने पाकिस्तान के साथ नवंबर के पहले सप्ताह में होने वाली वार्ता तीसरे सप्ताह तक स्थगित कर दी है। पाकिस्तान को इसके पूर्व आईएमएफ से किए गए वादे पूरे करने होंगे। इनमें पेट्रोल पर टैक्स बढ़ाने का वादा भी शामिल है।

आर्थिक गलियारा परियोजना को लेकर आशंका गहराई
उधर, चीन पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC) परियोजना के अमल को लेकर आशंकाएं गहराती जा रही हैं। यह अपेक्षित रफ्तार से आगे नहीं बढ़ रहा है।सिंगापुर पोस्ट की एक रिपोर्ट के अनुसार चीन को पाकिस्तान पर पूरा भरोसा नहीं है, वहीं, इस्लाबाद उसे अपना सदाबहार दोस्त बताता है। हालत यह है कि पाक पीएम शाहबाज शरीफ की हालिया चीन यात्रा से भी दोनों देशों के रिश्तों में चमक नहीं आई है। परियोजनाओं के इंजीनियरों पर हुए हमलों से भी चीन का पाकिस्तान पर से विश्वास डिगा है।

हालांकि, पाकिस्तान ने अब चीनी नागरिकों को बुलेट प्रूफ कारें मुहैया कराई हैं। पाकिस्तान के लिए सीपीईसी परियोजना बहुत अहम है, क्योंकि इससे उसे बिजली पैदा करने में मदद मिलेगी और वर्तमान में रोज हो रही 16 घंटे की कटौती से राहत मिल सकेगी।

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