लखनऊ. चुनाव आयोग ने ओमप्रकाश राजभर की पार्टी ‘सुहेलदेव भासपा’ और संजय निषाद की ‘निषाद पार्टी’ के चुनाव चिन्ह छीन लिए हैं।अब यह दोनों दल के उम्मीदवार अलग-अलग चुनाव चिन्ह पर मैदान में उतरेंगे बता दे सुहेलदेव भासपा का गठबंधन समाजवादी पार्टी के साथ है जबकि निषाद पार्टी बीजेपी की सहयोगी है। 2017 के चुनाव में ओमप्रकाश राजभर बीजेपी(BJP) के साथ मिलकर चुनाव लड़े थे और 4 सीटों पर उनके विधायक बने थे लेकिन इस बार उनका चुनाव चिन्ह ‘छड़ी’ छिन गया है।दरअसल यूपी चुनाव में सपा और भाजपा के साथ गठबंधन कर चुनाव रण में उतरने की तैयारी में जुटे यह दोनों दल की हर सीट पर अलग-अलग निशान से प्रत्याशी उतारना अब मजबूरी हो गई है। चुनाव आयोग ने सुभासपा के चुनाव चिन्ह ‘छड़ी’ और निषाद पार्टी के ‘भोजन भरी थाली’ चुनाव निशान पर रोक लगा दी है। दो चुनाव में यह दोनों पार्टियां एक फ़ीसदी से कम वोट हासिल किये थे जिसके कारण चुनाव आयोग ने इन दोनों दलों के पुराने चुनाव चिन्ह फिर से आवंटित करने से मना कर दिया। चुनाव आयोग के फैसले के बाद अब ओमप्रकाश राजभर और संजय निषाद अपनी पार्टी के उम्मीदवारों को अलग-अलग चुनाव चिन्ह पर मैदान में उतारेंगे। वहीं भाजपा की एक और सहयोगी अपना दल सोनेलाल का चुनाव निशान कप प्लेट और सपा की सहयोगी राष्ट्रीय लोक दल का हैंडपंप इस विधानसभा चुनाव में बरकरार रखा है। कुंडा के निर्दलीय विधायक रहे रघुराज प्रताप सिंह राजा भैया की पार्टी जनसत्ता दल लोकतांत्रिक को आरी चुनाव चिन्ह अलॉट हुआ है। राजा भैया ने 2018 में अपनी पार्टी का गठन किया था और 2019 के लोकसभा चुनाव में कुछ सीटों पर प्रत्याशी भी उतारे थे। अब 2022 में वह अपने चुनाव चिन्ह आरी के सहारे मैदान में उतरेंगे। पहली बार उत्तर प्रदेश में चुनाव लड़ने जा रहे बिहार सरकार में मंत्री मुकेश साहनी की वीआईपी पार्टी को चुनाव आयोग ने नाव का निशान अलॉटमेंट किया है। इसी के सहारे मुकेश साहनी बिहार विधानसभा चुनाव में उतरे थे और वह एनडीए सरकार में मंत्री भी हैं।
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