नई दिल्ली. महिलाओं के साथ ज्यादती को पुरुषों के मुकाबले ज्यादातर महिलाएं ही जायज मानती हैं। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 (एनएचएफएस-5) के दूसरे चरण में 18 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों से चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। इनमें से 14 राज्यों की 30 फीसदी महिलाओं ने पुरुषों द्वारा पीटे जाने को सही ठहराया। आश्चर्य की बात तो यह है कि महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार को सही मानने वाले पुरुषों का प्रतिशत कम है।
14 में से तीन राज्यों में तो 77 फीसदी से ज्यादा महिलाओं ने पति से पिटने का समर्थन किया। इनमें कर्नाटक 77 फीसदी, तेलंगाना 84 फीसदी और आंध्र प्रदेश 84 प्रतिशत हैं। मणिपुर में 66 फीसदी, केरल में 52 फीसदी और जम्मू-कश्मीर में 49 फीसदी, महाराष्ट्र में 44 फीसदी और पश्चिम बंगाल में 42 प्रतिशत महिलाओं ने पति के हाथों अपनी पिटाई का समर्थन किया। महिलाओं से पूछा गया था कि क्या वे पति से पिटने को ठीक मानती हैं?
सर्वे में शामिल हिमाचल प्रदेश, केरल, मणिपुर, गुजरात, नगालैंड, गोवा, बिहार, कर्नाटक, असम, महाराष्ट्र, तेलंगाना और पश्चिम बंगाल में महिलाओं ने ससुराल वालों की बेइज्जती करने को अपनी पिटाई का सबसे बड़ा कारण कहा। हिमाचल में सबसे कम 14.8 प्रतिशत महिलाओं ने ही पति से पिटने का समर्थन किया, जबकि कर्नाटक में यह तादाद 81.9 प्रतिशत थी।
महिलाओं ने पति के अपनी पिटाई करने के कारण भी गिनाए। इनमें पत्नी के चरित्र पर शक, ससुराल वालों का सम्मान न करने, बहस करने, संबंध बनाने से इनकार करने, बिना बताए घर से बाहर जाने, घर और बच्चों का ध्यान न रखने, अच्छा खाना न बनाने आदि को इसकी वजह बताया। महिलाओं ने कहा कि घर और बच्चों का ध्यान नहीं रखने और ससुराल वालों की बेइज्जती करने के कारण पति के हाथों उनकी पिटाई सही है।
कोरोना के कारण बढ़े पिटाई के मामले: भावनात्मक संकट झेल रही महिलाओं की काउंसलिंग और अन्य सहायता में लगे हैदराबाद के एनजीओ रोशनी की डायरेक्टर उषाश्री ने कहा कि कोविड-19 महामारी के प्रकोप के कारण महिलाओं पर यौन हमलों और घरेलू हिंसा में बढ़ोतरी हुई है। कुछ लोगों ने आय के साधन बंद होने और अन्य कारणों से परेशान होने पर भड़ास अपने परिजनों पर निकाली। महामारी के दौरान घर की चहारदीवारी में कैद रहने के कारण उनका अन्य परिजनों से विवाद हुआ।