बीते वर्ष जनवरी माह में कोरोना की जो आहट पुरूष हुई वो सितंबर 2020 में आंकड़ों के अनुसार हर दिन पाॅजिटिव मरीजों की संख्या लगभग एक लाख तक पहुंचने लगी थी। कोविड महामारी को हराने और लाॅकडाउन के नियमों का पालन करने की देष के 90 प्रतिषत के लगभग जागरूक नागरिकों की सोच ने इस महामारी को मात देने में बड़ा योगदान किया और वर्तमान में अब खबरों के अनुसार दस से पंद्रह हजार के आसपास मरीज मिलने की चर्चा है। जो एक अच्छी खबर हम आषावान लोगों के लिए कही जा सकती हैं।
लेकिन इसे कुछ नासमझ लोगों की लापरवाही कहे या अपने साथ औरों को भी लेकर मरने की कहावत पर चलने वालों की बात करे जो भी हो कुछ न कुछ कारण ऐसे जरूर है जिनके चलते पिछले कुछ दिनों से कोरोना मरीजों की संख्या में बढ़ोत्तरी की खबरे मीडिया में पढ़ने और सुनने को मिल रही है।
कुछ लोग और हमारे स्वास्थ्य विभाग से जुड़े कोरोना योद्धा कह रहे है कि शुगर आदि की बीमारी से पीड़ित और छोटे बच्चों व बुजुर्गों को यह घेर सकती है यह बात बिलकुल सही है। मेरा मानना है कि सबसे जरूरी बात यह है कि उच्च न्यायालय कि दूरी बनाये रखे और मास्क जरूर लगाये के निर्देश और माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के कथन जब तक दवाई नही ंतब तक ढीलाई नहीं के बाद अब तो दवाई मिल गई है। मेरा मानना है कि जब तक कोरोना का पूर्ण सफाया न हो तब तक ढिलाई नहीं मास्क लगाये दूरी बनाये रखे और हाथ भी साफ रखे।
मेरा यह भी मानना है कि टीकाकरण की रतार बढ़ाई जाए और कोरोना योद्धाओं के साथ साथ देश भर की घनी आबादी वाली मलीन बस्तियों में रहने वाले या जल्दी कोरोना के प्रभाव में आने वाले नागरिकों को चाहे वो महिला हो या पुरूष अथवा बच्चे या बुजुर्ग उन्हें भी कोरोना का टीका प्राथमिकता से लगवाया जाए। पिछले मार्च माह में कोरोना को लेकर लाॅकडाउन लागू किया गया जो विभिन्न मौको पर लगने वाले कर्यू से भी ज्यादा प्रभाव के साथ लगाया गया। नागरिकों ने भी धार्मिक भावनाओं व वैचारिक मद्भेद भूल सबसे उठ अपना सहयोग दिया और सबसे बड़ी बाद यह रही कि जब कोई पेटेंट दवाई नहीं थी तब भी हमारे चिकित्सकों की सूझबूझ से कोरोना पाॅजिटिव ठीक हो रहे थे।
वर्तमान में सपनों की नगरी के प्रदेश महाराष्ट्र में लाॅकडाउन अमरावती से लगने की दोबारा शुरूआत हो गई है। वहां की सरकार द्वारा पुनः लाॅकडाउन लागू करने की चर्चाऐं चल रही है। जैसा समय होगा भुगता भी जाएंगा। लेकिन हम भारतीय आषावान और जागरूक होने के साथ साथ समझदार भी है और अपने साथ ही औरों की मदद करने के लिए हर स्थिति और परिस्थिति में तैयार रहते है इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए हमें अपनी इम्यूनिटी खुद बढ़ाने और औरों को इसके लिए प्रेरित करने के काम में तेजी लानी होगी। कहते है कि एक आंवला सात दिन की इम्यूनिटी डोज उपलब्ध कराता है। ऐसे ही अपने यहां कई प्रकार के इम्यूनिटी बढ़ाने के परंपरागत साधन उपलब्ध है हमें उनके सेवन करने के साथ ही अपने डाक्टर की सलाह से दवाईयों के रूप में इम्यूनिटि बढ़ाने के साथ ही अन्य साधनों का अगर आवश्यकता हो तो समयानुसार उपयोग करें। आओ दोस्तों दोबारा से सिर उठा रही कोरोना महामारी को अपनी जागरूक सोच के दम पर बढ़ने से पहले ही समाप्ति का प्रयास पुरूष करें और औरों को भी बनाये जागरूक।
– रवि कुमार विश्नोई
सम्पादक – दैनिक केसर खुशबू टाईम्स
अध्यक्ष – ऑल इंडिया न्यूज पेपर्स एसोसिएशन
आईना, सोशल मीडिया एसोसिएशन (एसएमए)
MD – www.tazzakhabar.com