9 जून 1964 को देश के प्रधानमंत्री बने लाल बहादुर शास्त्री जी के पास अपनी कोई निजी कार नही थी परिवार के सदस्यों के आग्रह पर जब लेने का मन बना तो पैसे नही थे तब अपने सचिव को उन्होने फीएट कार की कीमत पता करने को कही तो पता चला की वह 12 हजार रूपये में पड़ेगी लेकिन उनके पास मात्र 7 हजार रूपये ही थे जिस पर 5 हजार रूपये का पीएनबी से लोन लिया गया जो आंधा घंटे में पास हो गया। इस पर माननीय शास्त्री जी ने कहा की सभी नागरिकों को आधा घंटे मे लोन मिलना चाहिए 11 जनवरी 1966 को जब ताशगंज सोवियत संघ रूस में शास्त्री जी का निधन हुआ उस व्यक्त तक वह लोन नही चुका पाये थे जिसे बाद में उनकी धर्मपत्नि ललिता शास्त्री जी ने अपनी पेंशन में पैसे कटवाकर चुकाया।
यह दोनो घटनाएं हमें ईमानदार रहने और हर काम में देश और नागरिकों के लिए कुछ करने की प्रेरणा देती है आज हम ऐसी सरल सादगी के प्रतीक निस्वार्थ देशसेवा करने वाले स्व0 लाल बहादुर शास्त्री जी की 55वीं पुण्यतिथि मना रहे है।
वर्तमान समय में सक्रिय राजनीति में पैर रखते ही लोग घोड़ा गाड़ी खरीदने और अपरिस्थति के समान जुटाने लगते है आदरणीय शास्त्री जी का जीवन हमें बहुत कुछ शांति से जीने के लिए सिखाते हुए सदमार्ग दिखाता है। आओं सब मिलकर ऐसे महान व्यक्तित्व के स्वामी जय जवान जय किसान का नारा देकर हमें अन्नदाता और देश के रक्षक के प्रति सम्मान का संदेश दिया आओं उन्हे हम अपने श्रद्धा सुमन भेंट करते हुए नमन करते है।
– रवि कुमार विश्नोई
सम्पादक – दैनिक केसर खुशबू टाईम्स
अध्यक्ष – ऑल इंडिया न्यूज पेपर्स एसोसिएशन
आईना, सोशल मीडिया एसोसिएशन (एसएमए)
MD – www.tazzakhabar.com