गाजियाबाद। अब कोई भी Internet service provider (ISP) सुरक्षा संबंधी जिम्मेदारी से भाग नहीं सकेगा। यदि इंटरनेट नेटवर्क से साइबर अपराध होता है तो आइएसपी को भी दोषी माना जाएगा। इस व्यवस्था को लागू करने से पहले दूर संचार मंत्रालय के निर्देश पर एडवांस लेवल टेलीकाम ट्रेनिंग सेंटर एएलटीटीसी से भारत समेत छह देशों के इंजीनियरों को प्रशिक्षण दिया गया ।
Network के जरिये होते हैं बड़े अपराध
अगर हैकर साइबर अपराध कर देता है तो केवल अपराधी पर ही कार्रवाई होती है। पीड़ित व्यक्ति भी हैकर के खिलाफ ही थाने में केस दर्ज कराता है। फिलहाल आइएसपी की सुरक्षा संबंधी कोई जिम्मेदारी नहीं है। एएलटीटीसी के सहायक निदेश कृष्णा कुमार यादव ने बताया कि ज्यादातर बड़े अपराध इंटरनेट नेटवर्क के जरिए होते हैं। किस अपराध के लिए किसे-किसे दोषी माना जाएगा, इस संबंध में Department of Telecommunications and TRAI (भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण) खाका तैयार कर रहा है।
जिम्मेदारी तय होगी
अगर साइबर अपराधी नेटवर्क के जरिए कोई अपराध करता है तो इसकी जिम्मेदारी Internet service provider को लेनी होगी। दूसरी ओर अगर कोई उपभोक्ता कोई साइट या मेल खोलने पर साइबर अपराधी के चुंगल में फंस जाता है तो इसकी जिम्मेदारी इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर की नहीं होगी। कुछ लोग अपने वाई-फाई का खुला छोड़ देते हैं और अपराधी वाई-फाई का इस्तेमाल कर आपत्तिजनक मैसेज कर देते है। इस स्थिति में वाई-फाई से अपराधी को Internet मुहैया कराने वाले उपभोक्ता को दोषी माना जाएगा।
Training दिया गया
इस व्यवस्था को शुरू करने से पहले इस संबंध में केंद्रीय दूर संचार मंत्रालय के निर्देश पर इंजीनियरों को एएलटीटीसी में प्रशिक्षण दिया गया । गाजियाबाद स्थित दक्षिण पूर्वी एशिया के सबसे बड़े एएलटीटीसी से प्रधान महा प्रबंधक सुभाष चंद व सहायक निदेशक कृष्णा कुमार यादव व सहायक निदेश आलोक त्यागी ने मंगोलिया, मलेशिया, अफगानिस्तान, भूटान, बांग्लादेश और कंबोडिया सरकार के इंजीनियरों को इस संबंध में प्रशिक्षण दिया। इंटरनेशनल टेली कम्यूनिकेशन संगठन ने देशों को Cyber Security Training देने के दूर संचार मंत्रालय के साथ समझौता किया है। मंत्रालय में इन्हें प्रशिक्षण के लिए अधिकृत किया है।