नई दिल्ली। राष्ट्रीय अंग एवं ऊत्तक प्रत्यारोपण संस्थान (नोटो) के प्रयासों की बदौलत देश में अंगदान का प्रतिशत प्रति दस लाख में 0.05 से बढ़कर 0.8 तो हो गया, लेकिन यह अभी भी अंतरराष्ट्रीय 37.5 से काफी कम है। वहीं स्पेन 40 प्रति दस लाख की औसत के साथ विश्व में सबसे आगे है। इसलिए अब भारत ने स्पेन से यह गुर सीखने का मन बनाया है। इसके लिए दोनों देशों ने सहमती पत्र पर हस्ताक्षर भी कर दिए हैं। सफदरजंग स्थित नोटो के कार्यालय में अंगदान महादान विषयक समारोह को संबोधित करते हुए शनिवार को स्वास्थ सचिव सीके मिश्रा ने बताया की देश में अंगदान बढ़ाने के लिए स्पेन से यह सीखने की जरूरत है कि पंजीकृत व्यक्ति के ब्रेन डेड होने पर कैसे उसके अंग को तय समय में निकाल कर जरूरतमंदों तक पहुंचाया जाए। अभी तक देश में जो व्यवस्था है उसमें पंजीकृत लोगों की मृत्यु के समय उनकी पहचान करना, समय पर उनके अंगों को रीट्रीव करना और जरूरतमंदों तक पहुंचाना काफी मुश्किल होता है। इसलिए स्पेन के सहयोग से इस व्यवस्था को दुरुस्त करना है।
अंग प्रत्यारोपण का इंतजार करने वालों की प्रमाणिक सूची तैयार : नोटो के निदेशक डा. विमल भंडारी ने कहा कि अभी तक देश में अंग प्रत्यारोपण का इंतजार करने वालों की कोई प्रमाणिक सूची उपलब्ध नहीं थी। नोटो के निर्देश पर पहली बार सभी राज्य अपने यहां की वेटिंग लिस्ट तैयार कर रहे हैं। स्पेन की तकनीकि मदद से इस वेटिंग लिस्ट को कम से कम करने का प्रयास किया जाएगा। वही नोटो के सलाहकार डॉ. हर्षा जौहरी बताते हैं कि आर्गन नेशनल र्सिोस है। आगामी 2020 तक देश के सभी मेडिकल कॉलेजों में ऑर्गन रीट्रीव करने अैार ट्रांसप्लांट करने की सुविधा विकसित कर ली जाएगी।