चंडीगढ़। पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में स्पष्ट किया है कि अगर परिवार में भी किसी बच्चे को गोद लिया जाता है, तो उसके लिए भी कानून प्रक्रिया पूरी करनी होगी। इसके बिना दादा का पोते को गोद लेना अवैध है। मनोज कुमार ने रेलवे में कार्यरत अपने पिता की मौत के बाद अनुकंपा के आधार पर नौकरी के लिए हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। मनोज ने बताया कि उसको उसके दादा ने 12 जनवरी 1997 को पंचायत के सामने गोद लिया था। गोद लेने के बाद उसके दादा उसके पिता बन गए हैं। उसके पिता (गोद लेने से पूर्व उसके दादा) रेलवे में सरकारी कर्मचारी थे। नौकरी में रहते समय उनकी मौत हो गई और दत्तक पुत्र होने के नाते उसका अनुकंपा के आधार पर नौकरी पाने का अधिकार है। 1हाई कोर्ट ने उठाए सवाल 1जस्टिस सूर्य कांत पर आधारित डिवीजन बेंच ने याचिका पर सवाल उठाया। बेंच ने कहा कि एक तो यह मामला देरी से 16-17 साल बाद दायर किया गया है। अगर परिवार को अनुकंपा के आधार पर कोई जरूरत पड़ती है, तो वह तत्काल होती है। इतनी देर से अनुकंपा के आधार पर नौकरी मांगना सही नहीं है। 1कोर्ट का तर्क1बेंच ने स्पष्ट कहा कि याचिकाकर्ता अपने दादा का दत्तक पुत्र होने का दावा पेश नहीं कर सकता, क्योंकि याची को गोद लेने में किसी भी कानूनी प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया। केवल पंचायत के सामने गोद लेने से कोई कानूनी तौर पर दत्तक पुत्र नहीं बन जाता। चाहे गोद लेने वाला और गोद लिया हुआ एक ही परिवार से ही क्यों न हों।