यूपी के सीएम पद का कार्यभार संभालने के बाद से भाजपा सरकार के मुखिया योगी आदित्यनाथ जी द्वारा हर क्षेत्र में सुधार और ईमानदारी से काम करने की प्रथा को बढ़ावा देने तथा भू-माफियाओं अवैध निर्माणकर्ताओं और कुछ दो नंबर का धंधा करने वाले टैक्स चोरों के खिलाफ कार्रवाई का बिगुल बजाया हुआ है।
सीएम साहब की कार्य प्रणाली को देखकर यह लगता है कि हर पात्र व्यक्ति को सरकार की जनहित की योजनाओं का लाभ पहुंचाने के लिए वह किसी भी प्रकार के राजस्व की चोरी करने वालों के कोकस को तोड़ने में किसी भी रूप मेें पीछे नहीं हैं। और गलत काम करने वालों को उनके शासन किसी भी स्तर से छूट मिलने वाली भी नहीं लगती है।
मुख्यमंत्री जी आपकी भावनाओं और नीतियों का लाभ आम नागरिक को मिलना तय लग रहा है। और प्रदेश में व्यवस्थाओं में बदलाव भी नजर आ रहा है लेकिन जागरूक नागरिकों का मानना है कि जब तक पुरानी परम्पराओं की सोच पर चल रहे कुछ अफसरों व जनप्रतिनिधियों और विभिन्न प्रकार से राजस्व की चोरी करने वाले भू-माफियाओें व अवैध निर्माणकर्ताओं के जो गुट विभिन्न सामाजिक संस्थाओं के नाम पर बन गये है जब तक उनको नहीं तोड़ा जाएगा तब तक पूरी तौर पर आपकी मंशा के तहत आम नागरिकों को सरकार की योजनाओं का लाभ मिलना आसान नहीं लगता है। सीएम साहब ज्यादातर जिलों में टैक्सों की चोरी विभिन्न रूपों में करने वालों के द्वारा मनोरंजन तथा साफ-सफाई नामों से कुछ सामाजिक व खेलों व संस्थाएं बनाई हुई है और इनमें से कुछ में जिम्मेदार अफसरों संरक्षकों, अध्यक्ष उपाध्यक्ष और मंत्री आदि पदों पर विराजमान किया गया है। और इन संस्थाओं में सदस्यों के रूप में जनपद के सक्रिय भू-माफियाओं अवैध निर्माणकर्ता और विभिन्न प्रकार से टैक्सों की चोरी करने वाले कुछ लोग जुगाड़ से सदस्य और पदाधिकारी तक बन जाते है और फिर इन संगठनों की अधिकारियों के कार्यालयों और निवास पर होने वाली बैठकांे और दावतों में अपने काम से सबंध विभागों के आने वाले अधिकारीयों से यही तालमेल बैठाकर अपना मनोरथ सिद्ध करते है। क्योकि जब इस प्रकार के लोग अफसरों की कोठियों पर आयोजित विभिन्न समारोह का संचालन मुख्य रूप से करते है तो आने वालों पर थोड़ा प्रभाव पड़ता ही है जिन्हे बाद में अपनी चिकनी चुपड़ी बातों में फंसाकर यह लोग कई प्रकार से अपना मनोरथ सिद्ध करते है और इस प्रक्रिया में सरकार को राजस्व के रूप में मिलने वाले टैक्सों की चोरी तो होती है समाज में भी एक गलत संदेश भी जाता है इसलिए सीएम साहब प्रदेश में सरकारी अफसरों के आवास और कार्यालयों में प्राईवेंट संस्थाओं की होने वाली दावतों पर रोक शासन के हित में लगायी ही जानी चाहिए तभी समाज में कुछ लोगो का जो एक कोकस बन गया है वो टूट सकता है।
सरकारी अधिकारियों के आवास और कार्यालयों पर शासन व जनहित में, बंद हो प्राईवेंट संस्थाओं की दावतें
-रवि कुमार विश्नोई
संस्थापक व राष्ट्रीय सम्पादक – दैनिक केसर खुशबू टाईम्स
अध्यक्ष – आॅल इंडिया न्यूज पेपर्स एसोसिएशन आईना
MD – www.tazzakhabar.com