आज देशभर के स्कूलों और अन्य गतिशील संस्थाओं व नागरिकों द्वारा देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंड़ित जवाहर लाल नेहरू जी का जन्मदिन मनाया जा रहा है। स्मरण रहे कि 14 नवंबर 1889 अब से लगभग 135 साल पूर्व बच्चों के चाचा नेहरू का जन्म वर्तमान में प्रयागराज पूर्व में इलाहाबाद में स्थित आनन्द भवन निवासी चोटी के वकील श्री मोती लाल नेहरू व स्वरूप रानी के यहां हुआ। नेहरू जी ने अपने जीवन में अपनी पुत्री पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय इंदिरा गांधी जी से बचपन में बड़ा प्यार था। दस साल की उम्र में उन्हें दुनिया की जानकारियां देने के लिए उन्हें जेल से पत्र लिखते थे। जिनका बाद में लेटर फ्राम ए फाटर टु हिज डॉटर पिता के पुत्री के नाम शीर्षक से प्रकाशित हुई और बच्चों में वो काफी लोकप्रिय रही। नेहरू जी के जीवन व लेखन पर वृत चित्र फिल्में व टीवी सीरियल भी बने। नेहरू जी बच्चों से चाचा कहलवाना पसंद करते थे। और बच्चे भी उन्हें इस संबोधन से पुकारने में खुश होते थे। शेरवानी में गुलाब का फूल लगाने की उनकी पंसद देश के हर नागरिक में प्रचलित थी। नेहरू जी को बच्चों से कितना प्यार था चाहे वो देश के हो या विदेश के। एक बार जापानी बच्चों ने फरमाईश की कि उन्होंने हाथी नहीं देखा तो नेहरू जी ने उनकी इच्छापूर्ति के लिए दो हाथी जापान पहुंचवाये पानी के जहाज से। प्रधानमंत्री बनने के बाद वो तीनमूर्ति भवन में रहने लगे उनके बाद तीनमूर्ति भवन को नेहरूतारा मंडल का रूप दिया गया। जिसमें बच्चे चांद तारे व गृहनक्षतरों के बारे में देख व सुन सकते थे। उनके बच्चों के अतिरिक्त प्रेम को देखते हुए 14 नवंबर को अपने देश के साथ साथ दुनिया भर में रहने वाले उनके प्रशंसक 14 नवंबर का दिन बाल दिवस के रूप में मनाते है। तो आज ही के दिन देश की राजधानी दिल्ली में अंर्तराष्ट्रीय मेला शुरू होता है। इसीलिए बाल दिवस बच्चों को समर्पित एक विशेष दिन है। जो न केवल उनके अधिकारों को सुरक्षित करने के लिए मनाया जाता है। के अतिरिक्त बच्चों के विकास शिक्षा व खुशहाल जीवन के लिए समाज के कर्तव्य को भी तय करता है।
नेहरू जी ने जीवन भर देशवासियों के लिए उल्लेखनीय कार्य करने के अतिरिक्त बच्चों के प्रति प्र्रेम उनके अधिकारों पर जागरूकता बालकों के सम्रग विकास पर बल देने के अतिरिक्त बच्चों के लिए विशेष योजनाऐं व लाभ उन तक पहुंचाने के लिए जागरूकता व बाल दिवस समाज की भूमिका को भी इंगित करता है। नेहरू जी ने बच्चोें के मानसिक और शारीरिक विकास तथा हर तरह से उन्हें आगे बढ़ाने के लिए समाज में कई साकारात्मक बदलावों को बढ़ावा दिया। पूर्व में 14 नवंबर नेहरू जी की याद में बाल दिवस बनाये जाने की जो प्रथा शुरू हुई वो आज भी उसी प्रकार से मनाई जाती है जैसे शुरूआती दौर में। बच्चें इस मौके पर धार्मिक सांस्कृतिक व राष्ट्र हित के कार्यक्रम और समाज की खुशहाली और देशभक्ति से प्रेरणास्रोत आयोजन करते है। नेहरूजी ने अपने जीवन काल में बहुत कुछ किया। शायद हम बाल दिवस के रूप में उनकी यादों को सजोकर आत्मसात करने का प्रयास हर वर्ष 14 नवंबर को करते है।
(प्रस्तुतिः अंकित बिश्नोई सोशल मीडिया एसोसिएशन एसएमए के राष्ट्रीय महावसचिव एवं मजीठिया बोर्ड यूपी के पूर्व सदस्य)
14 नवंबर नेहरू जी और बच्चें! देशभर में हुए सांस्कृतिक और देशभक्ति से परिपूर्ण कार्यक्रम
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