Date: 22/11/2024, Time:

किसानों की आय बढ़ाने व खाद्य सुरक्षा के लिए एक लाख करोड़

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नई दिल्ली 04 अक्टूबर। केंद्र सरकार ने किसानों और मध्‍यम वर्ग की आय बढ़ाने को लेकर बड़ा फैसला किया है. केंद्रीय कैबिनेट बैठक के बाद केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्‍णव ने बताया कि बैठक में किसानों की आमदनी को बढ़ाने और मध्यम वर्ग की खाद्य सुरक्षा के लिए पहला फैसला किया गया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्‍यक्षता में आयोजित कैबिनेट मीटिंग में पीएम राष्ट्रीय कृषि विकास योजना और कृषोन्‍नति योजना को मंजूरी दे दी गई है. इसका बजट 1,01,321 करोड़ रुपये होगा. दोनों योजनाओं के तहत 9 अलग-अलग योजनाएं हैं. इसमें पीएम राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (आरकेवीवाई) के लिए 57,074.72 करोड़ रुपये एवं कृषोन्नति योजना (केवाई) के लिए 44,246.89 करोड़ रुपये शामिल हैं।

कृषोन्‍नति योजना में शामिल 9 योजनाओं में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा एवं पोषण मिशन, खाद्य तेलों पर राष्ट्रीय मिशन – ऑयल पाम, राष्ट्रीय खाद्य तेल मिशन – तिलहन, एकीकृत बागवानी विकास मिशन, कृषि विस्तार पर उप-मिशन, पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए जैविक मूल्य श्रृंखला विकास मिशन, कृषि विपणन हेतु एकीकृत योजना, डिजिटल कृषि मिशन और कृषि जनगणना, आर्थिक एवं सांख्यिकी की एकीकृत योजना शामिल है.

कैबिनेट की बैठक के बाद गुरुवार को केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि दोनों कृषि योजनाओं (कृषि विकास योजना और कृषोन्नति योजना) पर कुल प्रस्तावित व्यय में केंद्रीय हिस्से का अनुमानित व्यय 69,088.98 करोड़ रुपये होगा। राज्यों का हिस्सा 32,232.63 करोड़ रुपये होगा।

राशि का व्यय राज्य सरकारों के माध्यम से होगा। इस राशि से राज्य अपनी जरूरत के अनुरूप योजना बना सकेंगे। पीएम राष्ट्रीय कृषि विकास योजना से सीमित प्राकृतिक संसाधनों के जरिये कृषि की निरंतरता कायम की जाएगी। साथ ही कृषोन्नति योजना से खाद्य सुरक्षा में आत्मनिर्भरता हासिल की जाएगी।

कैबिनेट ने तिलहन में आत्मनिर्भर बनने के लिए 10,103 करोड़ रुपये के नेशनल मिशन ऑन एडिबल ऑयल योजना को मंजूरी दी है। यह कृषोन्नति योजना के तहत आने वाली स्वीकृत नौ योजनाओं में से एक है। इसके तहत केंद्र सरकार का लक्ष्य वर्ष 2031 तक खाद्य तेलों का उत्पादन 1.27 करोड़ टन से बढ़ाकर दो करोड़ टन करना है।

तिलहन उत्पादन में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने की दिशा में केंद्र की यह बड़ी पहल है, जिसे अगले सात वर्षों में लागू किया जाएगा। इसके तहत उत्पादन क्षेत्र बढ़ाने के साथ ही उत्पादकता में वृद्धि की जाएगी। कृषि क्षेत्र की चुनौतियों के चलते इसे मिशन मोड में पूरा किया जाएगा।

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